जिन्ना के देश की हो रही बिक्री… इस्लामाबाद एयरपोर्ट को बेचेगा पाकिस्तान, बर्तन-बासन तक बेच देंगे शहबाज

पाकिस्तान
इस्लाम के नाम पर बना पाकिस्तान आज बिकने के लिए तैयार है और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ लगातार पाकिस्तानी संपत्तियों की बिक्री कर रहे हैं। 23 बार आईएमएफ से ऋण लेने के बाद भी पाकिस्तान के पास खाने को पैसे नहीं हैं और अब जब कर्जदार घर के दरवाजे को ठकठका रहे हैं, तो शहबाज शरीफ की सरकार कभी बंदरगाह को बेच रही है, तो कभी एयरपोर्ट को ही ठिकाने लगा रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के विमानन मंत्री ख्वाजा साद रफीक ने कहा है, कि इस्लामाबाद हवाई अड्डे को अपनी 'परिचालन गतिविधियों' में सुधार के लिए 15 साल के लिए आउटसोर्स किया जाएगा, क्योंकि देश आर्थिक संकट से जूझ रहा है। पाकिस्तान ने चौंका देने वाली मुद्रास्फीति और घटते विदेशी मुद्रा भंडार को देखा है और अब उसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से बहुत जरूरी राहत पैकेज भी मिल गया है, लेकिन उसके सिर पर कर्ज का इतना बोझ है, कि उसका गर्दन टूटना तय है।
 

इस्लामाबाद हवाई अड्डे के लिए क्या प्लान है?
शहबाज शरीफ की सरकार का यह कदम निजीकरण के समान नहीं है, इसके बजाय, "इसका उद्देश्य हवाई अड्डे के ऑपरेशन को बढ़ाने के लिए कुशल ऑपरेटरों को लाना है।" मंत्री ने कहा, कि खुली प्रतिस्पर्धी बोली सुनिश्चित की जाएगी, जिससे सर्वोत्तम बोली लगाने वाले को हवाई अड्डे को संचालित करने का अवसर दिया जा सके।

उन्होंने कहा, कि यह प्रक्रिया राष्ट्रीय खजाने को लाभ पहुंचाने के मकसद से की जा रही है और इस्लामाबाद एयरपोर्ट के ऑपरेशंस को संभालने के लिए 12 से 13 कंपनियां ने अपनी दिलचस्पी दिखाई है। उन्होंने आगे कहा, रनवे और नेविगेशन संचालन को आउटसोर्सिंग प्रक्रिया में शामिल नहीं किया जाएगा।

पाकिस्तान में इस कदम की जरूरत क्यों है?
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को उसके डिफॉल्ट होने से बचने के लिए 3 अरब अमेरिकी डॉलर के बेलआउट को मंजूरी दी है। पाकिस्तान को संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब से क्रमशः 1 अरब डॉलर और 2 अरब अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता भी प्राप्त हुई।

वहीं, चीन ने भी 2 अरब डॉलर के ऋण को चुकाने की अवधि बढ़ा दी है। लेकिन, इसके बाद भी पाकिस्तान के सामने दिक्कत ये है, कि उसे इस वित्त वर्ष में, यानि 30 जून 2024 से पहले तक 27 अरब डॉलर का बाहरी कर्ज चुकाना है और पाकिस्तान ये पैसा कहां से लाएगा, ये बात उसे समझ नहीं आ रही है। पाकिस्तान को इस साल 30 जून को आईएमएफ से ऋण मिला है और अगर 30 जून को आईएमएफ से ऋण नहीं मिलता, तो वो डिफॉल्ट कर जाता। यानि, ऐन वक्त पर पाकिस्तान डिफॉल्ट होने से बचा है। लेकिन, अगले साल वो क्या करेगा?

चीन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से भी पाकिस्तान इतने पैसे ले चुका है, जिसे चुकाना उसके लिए संभव नहीं है। लिहाजा, तमाम रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है, कि इस बार भले ही पाकिस्तान डिफॉल्ट होने से बच गया है, लेकिन अगले साल पाकिस्तान में श्रीलंका से भी बदतर हालात हो सकते हैं।

इससे पहले, कराची बंदरगाह को भी पाकिस्तान संयुक्त अरब अमीरात को बेच चुका है। वहीं, अमेरिका और ब्रिटेन में भी पाकिस्तानी प्रॉपर्टीज को पाकिस्तान पिछले कुछ महीनों में बेच चुका है या गिरवी रख चुका है, लिहाजा माना जा रहा है, कि आने वाले वक्त में पाकिस्तान सरकार के पास बर्तन बासन बेचने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचेगा।

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