China Economy को जोरदार झटका, 21 साल में पहली बार अमेरिका से एक्सपोर्ट में पिछड़ा

नई दिल्ली
 जी-20 समिट (G-20 Summit) की बैठक में हिस्सा नहीं लेकर दुनियाभर में अपनी फजीहत कराने वाले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अमेरिका के साथ पंगा लेना उन्हें भारी पड़ रहा है। 21 साल में पहली बार चीन अमेरिका को एक्सपोर्ट के मामले में पिछड़ गया है। साल 2023 की पहली तिमाही में इस मोर्चे पर मेक्सिको चीन से आगे ने निकल गया है। साल 2002 के बाद यह पहला मौका है जब अमेरिका ने चीन से ज्यादा मेक्सिको से आयात किया। चीन की इकॉनमी कई मोर्चों पर संघर्ष कर रही है। अगस्त में लगातार चौथे महीने चीन के एक्सपोर्ट में गिरावट आई है। चीन की इकॉनमी को कई मोर्चों पर संघर्ष का सामना करना पड़ रहा है और इसके साथ ही राष्ट्रपति शी जिनपिंग की लीडरशिप पर भी सवाल उठने लगे हैं। यही वजह है कि जिनपिंग इकॉनमी पर बोलने से कतरा रहे हैं।

साल 2003 की पहली तिमाही में अमेरिका को एक्सपोर्ट के मामले में चीन ने मेक्सिको को पछाड़ा था। तब चीन से अमेरिका को एक्सपोर्ट 35 अरब डॉलर था जबकि मेक्सिको का एक्सपोर्ठ 34 अरब डॉलर था। तब कनाडा 54 अरब डॉलर के निर्यात के साथ अमेरिका का टॉप ट्रेडिंग पार्टनर था। 2013 की पहली तिमाही में चीन ने कनाडा को भी पछाड़ दिया। तब चीन ने अमेरिका को 108 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट किया था। कनाडा 82 अरब डॉलर के साथ दूसरे और मेक्सिको 69 अरब डॉलर के साथ तीसरे नंबर पर था। इसके बाद से चीन का ही दबदबा बना रहा।

मेक्सिको ने चीन को किया अपदस्थ
लेकिन 2023 की पहली तिमाही में चीन का दबदबा टूट गया। World of Statistics के मुताबिक मेक्सिको अब नंबर एक पर पहुंच गया है। इस दौरान मेक्सिको ने अमेरिका को 117 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट किया। चीन 107 अरब डॉलर के एक्सपोर्ट के साथ दूसरे नंबर पर खिसक गया है। हालांकि उसका दूसरा नंबर भी सुरक्षित नहीं है। कनाडा 105 अरब डॉलर के साथ अमेरिका को सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट करने वाले देशों की लिस्ट में तीसरे नंबर पर है। चीन के एक्सपोर्ट में जिस तरह से गिरावट आ रही है, उससे वह जल्दी ही तीसरे नंबर पर खिसक सकता है। जुलाई में चीन के एक्सपोर्ट में 14.5 परसेंट की गिरावट रही थी जबकि अगस्त में यह 8.8 परसेंट गिरावट के साथ 284.87 अरब डॉलर रही।

चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी है। यह दुनिया में सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट करता है। इसी वजह से चीन को दुनिया की फैक्ट्री भी कहा जाता है। पिछले साल चीन ने दुनियाभर को 3.594 ट्रिलियन डॉलर का भारीभरकम एक्सपोर्ट किया। यह दुनिया के कुल एक्सपोर्ट का करीब 16 फीसदी है। चीन ने कुल एक्सपोर्ट में 47.4 परसेंट एशियाई देशों को, 20.7 परसेंट यूरोप को और 19.9 परसेंट नॉर्थ अमेरिका को गया था। चीन के एक्सपोर्ट में लेटिन अमेरिका की 4.8%, अफ्रीका की 4.6% और ओशनिया 2.6% हिस्सेदारी थी। अगर इंडिविजुअल देश की बात की जाए तो चीन के कुल एक्सपोर्ट का 16.2 परसेंट हिस्सा अमेरिका को गया। पिछले साल चीन ने अमेरिका को 582.8 अरब डॉलर का सामान भेजा।

किस बात की है लड़ाई
चीन के टॉप ट्रेडिंग पार्टनर्स में अमेरिका के बाद हॉन्ग कॉन्ग, जापान, साउथ कोरिया, वियतनाम, भारत, नीदरलैंड्स, जर्मनी, मलेशिया और ताइवान शामिल है। लेकिन दुनिया के ज्यादातर देश चीन के साथ ट्रेड डेफिसिट की समस्या से जूझ रहे हैं। इनमें भारत भी शामिल है। पिछले साल भारत का चीन के साथ ट्रेड डेफिसिट करीब 101 अरब डॉलर रहा। हमने चीन से 118 अरब डॉलर का सामान खरीदा और चीन को केवल 17 अरब डॉलर का सामान एक्सपोर्ट किया। इसी तरह अमेरिका ने भी चीन से 581 अरब डॉलर का सामान खरीदा और बदले में केवल 177 अरब डॉलर का सामान चीन भेजा। यानी उसका चीन के साथ ट्रेड डेफिसिट 403 अरब डॉलर रहा।

लेकिन पिछले कुछ समय से चीन और अमेरिका के बीच संबंधों में काफी तल्खी आई है। दोनों देशों ने एकदूसरे की कई कंपनियों पर पाबंदी लगा रखी है। इसके साथ ही अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहते हैं। खासकर सेमीकंडक्टर चिप्स को लेकर दोनों के बीच ठनी हुई है। इसके भविष्य का ऑयल कहा जा रहा है। यही वजह है कि अमेरिका और चीन दोनों इसकी सप्लाई चेन पर कब्जा करना चाहते हैं। चीन इन चिप्स को बनाने की तकनीक चाहता है लेकिन अमेरिका उसे देने को तैयार नहीं है। सेमीकंडक्टर्स का ईकोसिस्टम कई देशों में फैला है। इसका डिजाइन अमेरिका में बनता है और इसे ताइवान, जापान या दक्षिण कोरिया में बनाया जाता है। आखिर में इसे असेंबल करने का काम चीन में होता है।

 

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