जस्टिन ट्रूडो जानते थे कितना खतरनाक था हरदीप निज्जर, फर्जी पासपोर्ट से कनाडा पहुंचकर ऐसे फैलाया साम्राज्य

कनाडा
भारत-कनाडा के बीच कलह की वजह बना हरदीप सिंह निज्जर की लुधियाना के भरतसिंह पुरा गांव का रहने वाला था। वह फर्जी पासपोर्ट के जरिये कनाडा पहुंचा। यहां पैर जमाने के बाद उसने खालिस्तान टाइगर फोर्स (KTF) संगठन बनाया था। निज्जर वर्ष 1996 में ‘रवि शर्मा’ नाम से फर्जी पासपोर्ट बनवाकर भारत से कनाडा चला गया था। कनाडा पहुंचने के बाद उसने राजनीतिक शरण के लिए आवेदन किया। लेकिन इसे अस्वीकार कर दिया गया। इसके बाद उसने कनाडा की एक महिला से शादी की और फिर से नागरिकता पाने का प्रयास किया। इस महिला ने ही निज्जर को कनाडा लाने में सहायता की थी। लेकिन उसका यह पैंतरा भी विफल रहा और नागरिकता नहीं मिली।

ट्रूडो ने कहा कनाडाई नागरिक
अब जस्टिन ट्रूडो ने उसे अपने भाषण में कनाडाई नागरिक कहा है जो कि यह दर्शाता है कि निज्जर को बाद में नागरिकता हासिल हो गई होगी। उसने कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया राज्य में प्लंबिंग का काम भी चालू किया था, लेकिन उसकी सम्पत्ति इस बात की तरफ इशारा करती है कि वह अन्य धंधों से भी जुड़ा हुआ था।

सरे में गुरुद्वारे का अध्यक्ष था निज्जर
भारत में वांछित हरदीप सिंह निज्जर 18 जून 2023 को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के शहर सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर पार्किंग क्षेत्र में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। निज्जर सरे स्थित गुरु नानक सिख गुरुद्वारे का अध्यक्ष भी था। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत सरकार पर इस घटना में संलिप्त होने का आरोप लगाया है, जिसके बाद से दोनों सरकारों में कलह उत्पन्न हो गया है।

बब्बर खालसा से भी थे लिंक
वह प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स का संस्थापक था। हरदीप सिंह निज्जर (45) एक अन्य खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस का सदस्य भी था। इस संगठन की अगुवाई खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू करता है। वह खालिस्तानी आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा से भी जुड़ा था।

भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल था निज्जर
निज्जर कनाडा में रहकर भारत विरोधी गतिविधियों को लगातार हवा दे रहा था। कथित सिख रेफरेंडम करवाने में भी उसकी बड़ी भूमिका सामने आई। निज्जर के भारत प्रत्यर्पण का प्रयास लम्बे समय से जारी था, लेकिन प्रत्यर्पण से पहले ही उसकी हत्या कर दी गई। 2018 में जस्टिन ट्रूडो की भारत यात्रा के दौरान पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें ऐसे अपराधियों की एक लिस्ट थमाई थी, जिनकी पंजाब पुलिस को तलाश थी। इसमें निज्जर का नाम भी था। जांच एजेंसियों के अनुसार, निज्जर के ऊपर लुधियाना में वर्ष 2007 में बम धमाके करवाने का भी आरोप था। इस बम धमाके में 6 व्यक्तियों की मृत्यु हुई थी, जबकि लगभग 50 व्यक्ति घायल हो गए थे। पंजाब में हुआ यह एक बड़ा हमला था। पटियाला बम धमाके में उसका नाम मुख्य साजिशकर्ता के रूप में सामने आया था।

संतों की हत्या कराने का आरोप
बम धमाकों के अलावा उस पर डेरा सच्चा सौदा, निरंकारी सिख संतों और पंजाब के हिन्दू नेताओं की हत्या करवाने और इसकी साजिश रचने का भी आरोप है। इसी कड़ी में सिख युवक मंदीप धालीवाल को गिरफ्तार किया गया था। उसे पंजाब में हिन्दू नेताओं की हत्या का जिम्मा दिया गया था। धालीवाल को निज्जर ने ही प्रशिक्षण दिया था। जांच एजेंसियों के अनुसार, निज्जर ने पंजाब के दलित गुरु बाबा सिंह भैनारा की हत्या की भी साजिश रची थी।

बेअदबी के बाद डेरा अनुयायी की हत्या
वर्ष 2020 में उसने जेल में बंद राम रहीम के डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी मनोहर लाल की हत्या भी करवाई थी। मनोहर लाल डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे। वह डेरा की पच्चीस सदस्यीय समिति के सदस्य भी थे। मनोहर लाल बेअदबी मामले में आरोपित एक युवक के पिता थे। वर्ष 2016 से 2022 के बीच डेरा के 7 अनुयायियों की हत्या हुई और इन सबमें कहीं ना कहीं इन्हीं कट्टरपंथियों की भूमिका सामने आई।

ट्रूडो को है जगमीत सिंह का समर्थन
निज्जर को भारत वापस लाने के लिए वर्ष 2016 में रेड कार्नर नोटिस भी जारी किया गया था। कनाडा की सरकार से उसे भारत को सौंपने की अपील की गई। लेकिन कनाडा के सिख नेता जगमीत सिंह के दबाव और ट्रूडो की तुष्टिकरण की राजनीति के चलते ऐसा नहीं हुआ। खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी अल्पमत जस्टिन ट्रूडो सरकार का समर्थन करती है। एनएसए स्तर की बैठकों से यह बिल्कुल स्पष्ट था कि कनाडाई सरकार खालिस्तान समर्थकों के दबाव में थी और भारतीय हितों की मदद के लिए कुछ नहीं करेगी। इसके बाद एनआईए ने हरदीप सिंह निज्जर को भगोड़ा घोषित किया था। एनआईए ने वर्ष 2022 में निज्जर पर 10 लाख का इनाम भी घोषित किया था।

 

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