मैसेज सोर्स पर सरकार और व्हाट्सएप आमने-सामने

नई दिल्ली

WhatsApp का 2021 वाला प्राइवेसी विवाद फिर से सामने आया है। 2021 से ही सरकार WhatsApp की प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर कंपनी से जवाब मांग रही है, लेकिन अभी तक इसका कोई समाधान नहीं निकला। अब 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 2021 के प्राइवेसी विवाद को बंद संदूक से बाहर निकाला गया है। सरकार ने एक बार फिर से WhatsApp से मैसेज सोर्स की जानकारी मांगी है जिसे व्हाट्सएप ने देने से इनकार कर दिया है।

क्या है पूरा विवाद?
सरकार का कहना है कि WhatsApp किसी भी मैसेज के सोर्स की जानकारी दे यानी किसी मैसेज को सबसे पहले किसने भेजा इसकी जानकारी सरकार को चाहिए। WhatsApp का कहना है कि यह यूजर्स की प्राइवेसी पर हमला है। यदि WhatsApp के मैसेज का सोर्स सार्वजनिक कर दिया तो एप की प्राइवेसी खत्म हो जाएगी। सरकार की ओर से दलील दिया गया है कि चुनाव के दौरान फर्जी, स्पैम और गलत जानकारी WhatsApp के जरिए शेयर होने की सबसे ज्यादा संभावना है। ऐसे में WhatsApp को यह जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए।
WhatsApp का कहना है कि उसके मैसेज एंड टू एंड एंक्रिप्टेड होते हैं और उसकी जानकारी सिर्फ उन्हीं दो लोगों को होती है जो मैसेज भेजता और जिसे मैसेज भेजा जाता है। WhatsApp ने कहा है कि किसी मैसेज की जानकारी उसे भी नहीं होती है। सरकार सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियम 2021 के तहत कंपनी को ऐसे वीडियो सबसे पहले साझा करने वाले लोगों की पहचान साझा करने का आदेश भी दे सकती है। सरकार को चुनाव के दौरान डीपफेक वीडियो के सबसे ज्यादा शेयर होने का डर है। यह विवाद 2021 से दिल्ली हाई कोर्ट में चल रहा है।

WhatsApp IP एड्रेस फीचर
WhatsApp एक नए प्राइवेसी फीचर पर काम कर रहा है। इस फीचर के आने के बाद WhatsApp पर वीडियो या वॉयस कॉल के दौरान यूजर्स का आईपी एड्रेस सार्वजनिक नहीं होगा। नया फीचर एंड्रॉयड और आईओएस दोनों यूजर्स के लिए आएगा। यह प्राइवेसी फीचर टेलीग्राम एप में पहले से मौजूद है।

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