BJP के बागी पर कमलनाथ का दांव जानता है RSS की ‘काट’

दतिया

मध्य प्रदेश के दतिया जिले में स्थित पीतांबरा पीठ एक तीर्थस्थल है। इसके चलते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी जैसे नेताओं के लिए दतिया तीर्थस्थल बन गया है। मध्य प्रदेश के गृह मंत्री और सात बार के विधायक नरोत्तम मिश्रा का ये 'गढ़' भी है। एमपी विधानसभा की दतिया सीट हाई-प्रोफाइल निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। बीते रविवार को सीएम शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा और नरोत्तम मिश्रा ने बीजेपी के चुनाव अभियान की शुरुआत के मौके पर यहां पीतांबरा पीठ मंदिर में पूजा-अर्चना की थी।

कांग्रेस ने दतिया में बीजेपी के नरोत्तम मिश्रा को शिकस्त देने के लिए आरएसएस के पूर्व पदाधिकारी और बीजेपी के 'बागी' को मैदान में उतार दिया है, जो आरएसएस की रणनीति और बीजेपी के दांव-पेच अच्छे से समझता है। कांग्रेस के दतिया से प्रत्याशी का नाम है अवधेश नायक। ये वही अवधेश नायक हैं, जो नरोत्तम मिश्रा के पिछले विधानसभा चुनाव में जीत के सूत्रधार रहे थे। नायक इसी साल अगस्त में बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए थे। हालांकि तीन चुनावों से नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ प्रतिद्वंद्वी रहे कांग्रेस नेता राजेंद्र भारती के समर्थकों ने अवधेश नायक की उम्मीदवारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है।

 

नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ अवधेश को कांग्रेस ने क्यों चुना?

कांग्रेस ने एक पूर्व बीजेपी नेता को दतिया में नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ क्यों चुना? इस पर पीसीसी प्रमुख कमल नाथ ने कहा- 'हमने पूर्व बीजेपी कार्यकर्ताओं को टिकट दिया है। हमने बिना किसी शर्त के उनका पार्टी में स्वागत किया। हमने कहा कि उन्हें स्थानीय कांग्रेस नेतृत्व का समर्थन होना चाहिए। इसलिए जब भी किसी अलग पार्टी से कोई व्यक्ति शामिल होता था, तो हमारे जिला अध्यक्ष और अन्य स्थानीय पदाधिकारी अनुमोदन के तौर पर मंच पर बैठते थे।'

यूं शुरू हुई थी अवधेश नायक और नरोत्तम मिश्रा के बीच अनबन

अवधेश नायक ने इसके पहले 2003 में बीजेपी के टिकट पर दतिया सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस से 2,904 वोटों से हार गए थे। नरोत्तम मिश्रा ने 1990, 1993, 1998 और 2003 में ग्वालियर के डबरा निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ा। 2008 में परिसीमन के बाद दतिया चले गए क्योंकि डबरा एक आरक्षित सीट बन गई। और यहीं से अवधेश नायक और नरोत्तम मिश्रा के बीच अनबन शुरू हुई।

2008 में बीजेपी से निकाले जाने के बाद उमा भारती ने भारतीय जन शक्ति पार्टी बनाई और अवधेश नायक को दतिया से मिश्रा के खिलाफ मैदान में उतारा, लेकिन वह हार गए। 2009 में नायक बीजेपी में लौट आए और 2013 के चुनाव में नरोत्तम मिश्रा के लिए पार्टी के अभियान और रणनीति टीम का हिस्सा बन गए। नरोत्तम मिश्रा 11,697 वोटों से जीते। जीत के बाद अवधेश नायक ने कैबिनेट मंत्री को माला पहनाई, लेकिन मिश्रा ने माला उतार दी। इससे दरार और बढ़ गई।

2005 से एमपी कैबिनेट के सदस्य रहे हैं नरोत्तम मिश्रा

नरोत्तम मिश्रा 1 जून 2005 से एमपी कैबिनेट के सदस्य रहे हैं। उनके पास जल संसाधन, शहरी विकास, विधायी मामले, स्वास्थ्य, आवास, चिकित्सा शिक्षा, जनसंपर्क और गृह मामलों जैसे महत्वपूर्ण विभाग हैं। वह लगभग एक दशक तक सरकार के प्रवक्ता भी रहे हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में, कांग्रेस के राजेंद्र भारती के खिलाफ नरोत्तम मिश्रा की जीत का अंतर घटकर 2,556 वोट रह गया था। 2008 में उमा भारती ने मंत्री के खिलाफ कथित तौर पर पॉजिटिव न्यूज के लिए रुपये देने के बारे में चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराई थी। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।
 

कांग्रेस ने क्यों बनाया अवधेश नायक को प्रत्याशी?

कांग्रेस के सर्वेक्षणों के अनुसार, अवधेश नायक को गृह मंत्री को चुनौती देने के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार के रूप में पेश किया गया है। मिश्रा और नायक दोनों ब्राह्मण हैं। इस समुदाय के निर्वाचन क्षेत्र में 30,000 वोट हैं। दतिया में उच्च जाति के ब्राह्मण और ठाकुर सामूहिक रूप से कुल वोटों का 22% हिस्सा हैं, जबकि ओबीसी 50 फीसदी और एससी/एसटी/अल्पसंख्यक वोट 28 फीसदी हैं। विधानसभा सीट पर 190,905 पंजीकृत मतदाता हैं।

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