फ्रांस में दक्षिणपंथी ताकतें करेंगी बदलाव, चुनाव में मैक्रों की साख दांव पर

पेरिस.

फ्रांस में संसदीय चुनाव के पहले चरण के लिए मतदान शुरू हो गया है। इस चुनाव को बहुमत की आस लगाए बैठे राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के लिए एक परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है। मैक्रों के गठबंधन को वामपंथी गठबंधन से मजबूत चुनौती मिल रही है। उम्मीद जताई जा रही है कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद देश में पहली दक्षिणपंथी सरकार बन सकती है, जो यूरोपीय संघ में एक बड़ा बदलाव हो सकता है।

इस महीने की शुरुआत में छह जून को यूरोपीय संसद के लिए चुनाव हुए थे। इस दौरान फ्रांस में सबसे चौंकाने वाली राजनीतिक परिस्थितियां थीं। यहां फ्रांस की धुर दक्षिणपंथी नेता मरीन ला पेन की नेशनल रैली ने मैक्रों की पार्टी को जबरदस्त झटका दिया था। इसके बाद ही राष्ट्रपति ने अंतिम नतीजे आने से पहले ही अचानक राष्ट्रीय चुनावों की घोषणा कर सबको हैरान कर दिया था। उन्होंने कहा था, 'मैंने फैसला किया है कि आप वोट के जरिए अपना संसदीय भविष्य चुने। इसलिए मैं नेशनल असेंबली भंग कर रहा हूं। धुर दक्षिणपंथी पार्टियां हर तरफ आगे बढ़ रही हैं। यह ऐसे हालात हैं, जिन्हे मैं स्वीकार नहीं कर सकता।'

आज और सात जुलाई को चुनाव
मरीन ले पेन की नेशनल रैली लंबे समय से राजनीतिक गलियारों से बाहर थी, लेकिन अब वह पहले से कहीं ज्यादा सत्ता के करीब है। ऐसे में 30 जून और सात जुलाई को फ्रांस में राष्ट्रीय चुनाव हो रहे हैं। मध्य जुलाई तक यह साफ हो जाएगा कि राजनीतिक समीकरणों में मैक्रों की स्थिति क्या रहती है और क्या उन्हें एक धुर दक्षिणपंथी प्रधानमंत्री के साथ मिलकर सत्ता चलाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। हालांकि, केवल दो साल पहले राष्ट्रपति पद की दूसरी पारी संभालने वाले मैक्रों के अपने पद के लिए इन चुनावों से कोई अंतर पैदा नहीं होगा क्योंकि राष्ट्रपति चुनावों में अभी वक्त है और वह अपना तीन साल का बचा हुआ कार्यकाल पूरा करेंगे।

577 सीटों के लिए मतदान
फ्रांस में भारतीय समयानुसार सुबह साढ़े 11 बजे से रात में साढ़े नौ बजे तक मतदान होगा। एग्जिट पोल देर रात सामने आ सकता है। वहीं, एक हफ्ते बाद दूसरे चरण के लिए वोटिंग होगी। हालांकि, 577 सीटों वाली नेशनल असेंबली में सीटों के सटीक बंटवारे का अनुमान लगाना कठिन हो सकता है।

Back to top button