देश में तीन नए कानून लागू होने पर यातायात थाने में जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

देश में तीन नए कानून लागू होने पर   यातायात थाने में जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस स्टाफ के द्वारा किया गया वृक्षारोपण

 डिंडोरी
 जिला मुख्यालय यातायात थाने में देश में तीन नए कानून लागू होने पर जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें पुलिस अधीक्षक श्रीमती वाहिनी सिंह, एडीपीओ एल पी साहू ,पुलिस अधीक्षक जगन्नाथ मरकाम एस डी ओपी के के त्रिपाठी यातायात प्रभारी सुभाष उईके अधिवक्ता शिवकुमार तिवारी, उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य  एसके द्विवेदी, भाजपा जिला अध्यक्ष अवध राज बिलैया , नगर परिषद अध्यक्ष श्रीमती सुनीता सारस, जिले के पत्रकार आम नागरिक एवं एक दो पार्षद के अतिरिक्त ज्यादातर पार्षद पति ही मौजूद रहे। कार्यक्रम में पुलिस अधीक्षक श्रीमती वाहिनी सिंह, एडीपीओ एल पी साहू ,उप  पुलिस अधीक्षक जगन्नाथ मरकाम , एसडीओपी के के त्रिपाठी, के अतिरिक्त भाजपा के जिला अध्यक्ष अवध राज बिलैया तथा उत्कृष्ट विद्यालय के  प्राचार्य एसके द्विवेदी ने परिवर्तित कानून पर जानकारी देते हुए आम जनता से कानून का पालन करने की अपील की। पुलिस अधीक्षक श्रीमती वाहिनी सिंह ने नये कानून का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करने की भी अपील की जिससे लोगों को नए कानून की आसानी से जानकारी हो सके और आम जनता को जल्द से जल्द न्याय मिल सके। कार्यक्रम की समाप्ति पर पुलिस अधीक्षक श्रीमती वाहिनी सिंह ने स्टाफ सहित वृक्षारोपण किया

आज से तीन नए कानून होंगे लागू,

1-इंडियन पीनल कोड आईपी के 1860 की जगह — भारतीय न्याय संहिता 2023
2-क्रिमिनल प्रोसीजर कोड सीआरपीसी 1973 की जगह —भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023
3-इंडियन एविडेंस एक्ट 1872– की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023

आज से भारत आपराधिक न्याय के एक नए युग की शुरुआत होने जा रही है। एक जुलाई से देश में आईपीसी सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नये कानून भारतीय न्याय संहिता भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय लागू हो रहे हैं। नए कानून से मुकदमे जल्दी निपटेंगे और तारीख पर तारीख के दिन लद जाएंगे। रविवार रात बारह बजे से यानी एक जुलाई की तारीख शुरू होने के बाद घटित हुए सभी अपराध नये कानून में दर्ज किये जाएंगे। एक जुलाई से देश में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नये कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय लागू हो रहे हैं।

एक जुलाई से लागू हो रहे आपराधिक प्रक्रिया तय करने वाले तीन नये कानूनों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए एफआइआर से लेकर फैसले तक को समय सीमा में बांधा गया है। आपराधिक ट्रायल को गति देने के लिए नये कानून में 35 जगह टाइम लाइन जोड़ी गई है। शिकायत मिलने पर एफआइआर दर्ज करने, जांच पूरी करने, अदालत के संज्ञान लेने, दस्तावेज दाखिल करने और ट्रायल पूरा होने के बाद फैसला सुनाने तक की समय सीमा तय है।

नये कानून से मुकदमे जल्दी निपटेंगे
साथ ही आधुनिक तकनीक का भरपूर इस्तेमाल और इलेक्ट्रानिक साक्ष्यों को कानून का हिस्सा बनाने से मुकदमों के जल्दी निपटारे का रास्ता आसान हुआ है। शिकायत, सम्मन और गवाही की प्रक्रिया में इलेक्ट्रानिक माध्यमों के इस्तेमाल से न्याय की रफ्तार तेज होगी। अगर कानून में तय समय सीमा को ठीक उसी मंशा से लागू किया गया जैसा कि कानून लाने का उद्देश्य है तो निश्चय ही नये कानून से मुकदमे जल्दी निपटेंगे और तारीख पर तारीख के दिन लद जाएंगे।

तीन दिन के अंदर एफआइआर दर्ज करनी होगी
आपराधिक मुकदमे की शुरुआत एफआइआर से होती है। नये कानून में तय समय सीमा में एफआइआर दर्ज करना और उसे अदालत तक पहुंचाना सुनिश्चित किया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में व्यवस्था है कि शिकायत मिलने पर तीन दिन के अंदर एफआइआर दर्ज करनी होगी। तीन से सात साल की सजा के केस में 14 दिन में प्रारंभिक जांच पूरी करके एफआइआर दर्ज की जाएगी। 24 घंटे में तलाशी रिपोर्ट के बाद उसे न्यायालय के सामने रख दिया जाएगा।

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