बिहार में EPF की सुविधा के लिए ज्वाइनिंग की तारीख 1 सितंबर भरवाने से भड़के शिक्षक, नाराजगी जताई

पटना। 
बिहार सरकार ने पंचायती राज व नगर निकायों के अंतर्गत कार्यरत सभी साढ़े तीन लाख शिक्षक व पुस्तकालयाध्यक्षों को 1 सितम्बर 2020 से ईपीएफ का लाभ देने काफैसला किया है। इसके लिए अपनायी जा रही प्रक्रिया को लेकर कई शिक्षक संगठनों ने ऐतराज किया है। शिक्षकों का आरोप है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा पटना उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना तथा ईपीएफ एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है। 

विदित हो कि शिक्षकों को ईपीएफ का लाभ देने के लिए रजिस्ट्रेशन फॉर्म में सभी शिक्षकों की नियुक्ति तिथि 1 सितंबर, 2020 तथा वेतन के स्थान पर 15,000 रुपए या उससे कम भरने को कहा गया है। शिक्षकों का कहना है कि इससे उनकी अबतक की सेवा अवधि शून्य हो जायेगी तथा वर्तमान में मिलने वाले लाभ के साथ भविष्य में भी मिलने वाले लाभों से वंचित होना पड़ेगा। 

शिक्षकों का कहना है कि अपर सचिव सह निदेशक माध्यमिक शिक्षा द्वारा 11 सितंबर को दिए गए निर्देश में कहा गया है कि इस वर्ष 31 अगस्त तक नियुक्त शिक्षक अपनी नियुक्ति तिथि के कॉलम में 1 सितंबर 2020 भरेंगे जबकि भविष्य में नियुक्त शिक्षक अपनी वास्तविक नियुक्ति तिथि भरेंगे। यह एक ही संवर्ग के शिक्षकों के साथ शिक्षा विभाग का भेदभावपूर्ण रवैया है। गौरतलब हो कि वर्ष 2006 से अबतक नियुक्त हुए शिक्षकों की जहां नियुक्ति तिथि अलग-अलग है, वहीं उनका वेतन भी अलग-अलग है। 

न्यायालय के आदेश की दिलाई याद
माध्यमिक शिक्षक संघ के नेता सिद्धार्थ शंकर, आशीष सिंह एवं डॉ. अनिल कुमार पांडेय के नेतृत्व में शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों के शिष्टमंडल ने कर्मचारी भविष्य संगठन (ईपीएफओ) के क्षेत्रीय भविष्यनिधि आयुक्त को ज्ञापन सौंपा तथा उन्हें पटना उच्च न्यायालय द्वारा 17 सितंबर, 2019 के आदेश की याद दिलाई है। शिक्षकों ने राज्य के मुख्य सचिव, श्रमायुक्त और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को भी ज्ञापन की प्रति सौंपकर शिक्षकों के हितों की रक्षा करने की गुहार लगायी है। 

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