राम मंदिर में इस्तेमाल होगा भरतपुर का गुलाबी पत्थर, खनन को वैध बनाने के VHP ने किया गहलोत सरकार के फैसले का स्वागत

 लखनऊ 
विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और अयोध्या के संतों ने राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के भरतपुर जिले के बांसी पहाड़पुर में खनन को वैध बनाने के फैसले का स्वागत किया है। यहां पर दुनिया के प्रसिद्ध गुलाबी पत्थरों का भंडार है, जिसका राम मंदिर निर्माण में इस्तेमाल किया जाएगा। इस सप्ताह के शुरुआत में वीएचपी और अयोध्या के संतों ने राजस्थान सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर बांसी पहाड़पुर में खनन के मुद्दे का हल नहीं किया गया तो वे देशव्यापी प्रदर्शन करेंगे।

वीएचपी के क्षेत्रीय प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि बांसी पहाड़पुर में खनन को वैध बनाने का राजस्थान सरकार का निर्णय सराहनीय है। राम मंदिर की नींव का काम शुरू हो गया है। जल्द ही इन पत्थरों की आवश्यकता होगी। राजस्थान सरकार के इस फैसले से राम मंदिर के लिए इन पत्थरों की उपलब्धता आसानी से हो पाएगी। वहीं गहलोत सरकार के फैसले का श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने भी स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार ने एक सही निर्णय लिया है। भगवान राम सभी के हैं। इसलिए, सभी को राम मंदिर के निर्माण में मदद करनी चाहिए।

वीएचपी और अयोध्या के संतों ने कांग्रेस को पहले ही चेतावनी दे दी थी। उनका कहना था कि अगर राजस्थान सरकार बांसी पहाड़पुर में खनन के मुद्दे का हल करने में विफल रहती है तो देशव्यापी प्रदर्शन होगा। 16 सितंबर को शरद शर्मा ने कहा था, 'अगर कोई समस्या है तो राजस्थान सरकार जल्द से जल्द उसका समाधान निकाल ले। राम मंदिर के निर्माण काम अब तेजी से होगा। इसके बाद पत्थरों की नक्काशी भी शुरू हो जाएगी।' शरद शर्मा ने कांग्रेस पार्टी को चेतावनी देते हुए कहा था, 'राम मंदिर निर्माण का काम शुरू होने के बाद राजस्थान सरकार को पत्थरों की आपूर्ति रोकने के लिए कोई बहाना नहीं बनाना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो इसे कांग्रेस पार्टी द्वारा राम मंदिर निर्माण कार्य रोकने के एक चाल के रूप में देखा जाएगा।'

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के देखरेख में 11 सितंबर से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए नींव के परीक्षण का काम शुरू हो गया था। मंदिर की नींव में जमीन से 100 फीट नीचे लगभग 1200 पिलर्स लगाए जाएंगे। एक मीटर व्यास के एक पिलर को शुरुआती तौर पर लगाया गया है। एक महीने में इसकी अलग-अलग तरह की जांच की जाएगी। जांच पूरी होने के बाद 15 अक्टूबर के आसपास बाकी के पिलर्स लगाने का काम शुरू हो जाएगा।

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