भारत 2021 तक 5.2 मिलियन टन कचरा उत्पन्न करेगा – जार्ज चेरियन

रायपुर
कोरोना महामारी के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए सतत उपभोग अंतर्गत अभियान आज से शुरू हुआ जो 4 अक्टूबर तक चलेगा। ग्रीन एक्शन वीक प्रत्येक वर्ष यह कार्यक्रम मनाता है। स्थाई खपत को बढ़ावा देने के लिए यह एक वैश्विक अभियान है जिसे भारत के अलावा आफ्रीका, एशिया, यूरोप, उत्तर और दक्षिण अमेरिका के 40 देशों के लगभग 60 संगठन इस वर्ष इस अभियान में भाग ले रहे है। ग्रीन एक्शन वीक स्वीडिश सोसाइटी फार नेचर कंजर्वेशन द्वारा एक पहल है जिसे कट्स इंटरनेशनल संस्था द्वारा भारत द्वारा में संचालित किया जा रहा है। कट्स इंटरनेशनल के निदेशक श्री जार्ज चेरियन ने कहा कि भारत 2021 तक 5.2 मिलियन टन कचरा उत्पन्न करेगा और निजी वाहनों का उपयोग पूर्व महामारी के स्तर से अधिक हो गया है।

अभियान के पहले दिन कट्स इंटरनेशनल के निदेशक श्री जार्ज चेरियन ने बताया कि इस वर्ष अभियान का विषय समुदाय का साझाकरण 2020 है। वर्ष 2018 से इस अभियान के तहत देश की सहयोगात्मक व आपस में संस्कृति को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य मनाया जाता है। इस महामारी के प्रकोप के कारण स्थाई उपभोग पर गंभीर व नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है । महामारी ने प्लास्टिक की खपत में जबरदस्त वृद्धि की है जैसे मास्क, दस्ताने, फेस शील्ड, पीपीई किट, सेनेटाईजर बोतल आदि के बढ़ते उपयोग के कारण भारत में सिंगल उपयोग प्लास्टिक ने बड़ी वापसी की है। 2020 में प्लास्टिक कचरा 9.4 मिलियन टन होने की उम्मीद है चूंकि काम और शिक्षा आनलाइन हो गई है जिससे इलेक्ट्रानिक उपकरणों में बेतहाशा वृद्धि हुई है।

केरल राज्य में लेपटाप की बिक्री में 400 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और राजस्थान में 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह अनुमान है कि भारत 2021 तक 5.2 मिलियन टन कचरा उत्पन्न करेगा। सार्वजनिक वाहनों की कमी और भौतिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग ) मानदंडों के कारण निजी वाहनों का उपयोग पूर्व महामारी के स्तर से अधिक हो गया है। जैविक उत्पादों के उपादन और खपत में 70 से 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, क्योकि उपभोक्ता प्रतिरक्षा को वायरस से लड?े के लिए गोला बारूद मानते है।

जार्ज चेरियन के मुताबिक इस वर्ष अभियान इन मुद्दों में से कुछ को संबोधित करने पर ध्यान केन्द्रित करेगा। ग्रीन एक्शन वीक अभियान के संचालन के लिए कट्स इंटरनेशनल 12 राज्यों में 12 संगठनो के माध्यम कर रहा है जिन राज्यों में यह अभियान संचालित किया जा रहा है उनमें छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड, असम, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, कर्नाटका, तमिलनाडु और केरल शामिल है। उन्होंने बताया कि यह अभियान स्थाई उपभोग पर काम करने वाले संगठनो का एक नेटवर्क बनाने में मदद करेगा और रिकवरी योजनाओं के लिए सामूहिक वकालत को मजबूत करेगा जो वर्तमान रुझानो को उलट देगा और खपत के पैटर्न को अधिक टिकाऊ भविष्य की ओर बदल देगा।

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