विदेशों से चंदा लेकर भारत के राजनीतिक मामलों में दखल की इजाजत नहीं

नई दिल्ली
भारत सरकार की ओर से निशाना बनाए जाने और खातों को पूरी तरह फ्रीज करने का आरोप लगात हुए देश में कामकाज रोकने की घोषणा करने वाले मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशल को लेकर गृह मंत्रालय ने प्रतिक्रिया दी है। गृह मंत्रालय एमनेस्टी इंटरनेशनल के रूख और उसके बयान को दुर्भाग्यपूर्ण, अतिरंजित और सच्चाई से दूर बताते हुए कहा है कि संस्था भारत में मानवतावादी कामों को जारी रखने के लिए आजाद है, लेकिन विदेशी चंदों के जरिए घरेलू राजनीतिक चर्चाओं में हस्तक्षेप की इजाजत नहीं दी जाएगी।

गृह मंत्रालय की ओर से मंगलवार जारी बयान में कहा गया कि यह कानून एमनेस्टी इंटरनेशनल सहित सभी संस्थाओं पर लागू होता है। मंत्रालय ने कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल की अवैध गतिविधियों की वजह से पिछली सरकारों ने भी विदेशों से चंदा लेने की उसकी अपीलों को खारिज कर दिया था। उस समय भी एमनेस्टी को एक बार भारत में अपने कामकाज को रोकना पड़ा था।

गृह मंत्रालय ने कहा कि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने फॉरेन कंट्रीब्यूशन (रेग्युलेशन) एक्ट (FCRA) के तहत केवल एक बार मंजूरी ली थी वह भी 20 साल पहले। इसके बाद से संस्था को FCRA अप्रूवल देने से सभी सरकारों ने इनकार किया है। FCRA नियमों को दरकिनार करते हुए एमनेस्टी यूके ने भारत में रजिस्टर्ड 4 इकाइयों में बड़ी राशि ट्रांसफर की थी।  

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मंगलवार को कहा कि वह भारत में उसके खातों के फ्रीज होने के कारण अपनी सभी गतिविधियों को रोक रहा है और दावा किया है कि उसको निराधार और प्रेरित आरोपों को लेकर लगातार निशाना बनाया जा रहा है। एमनेस्टी इंडिया ने एक बयान में कहा कि संगठन को भारत में कर्मचारियों को निकालने और उसके जारी सभी अभियान और अनुसंधान कार्यों को रोकने के लिए मजबूर किया गया है।

उन्होंने कहा, ''भारत सरकार ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के बैंक खातों को पूरी तरह से फ्रीज कर दिया है, जिसके बारे में 10 सितंबर 2020 को पता चला था, इसलिए संगठन द्वारा किए जा रहे सभी कामों को रोक दिया गया है।'' हालांकि, सरकार ने कहा है कि एमनेस्टी को अवैध रूप से विदेशी धन प्राप्त हो रहा है। प्रवर्तन निदेशालय ने 2018 में बैंगलुरू में एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुख्यालय की तलाशी की थी। ये छापे विदेशी मुद्रा अधिनियम के कथित उल्लंघन के लिए किए गए थे।

संगठन ने दावा किया कि एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया और अन्य मुखर मानवाधिकार संगठनों, कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार रक्षकों पर हमले केवल विभिन्न "दमनकारी नीतियों और सत्य बोलने वालों पर सरकार द्वारा निरंतर हमले" का विस्तार है। एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने कहा, ''भारत सरकार द्वारा मानवाधिकार संगठनों पर निराधार और प्रेरित आरोपों को लेकर लगातार किए जा रहे हमलों की कड़ी में यह नई घटना है।''

 

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