कब्रों से निकाले गए फर्जी मुठभेड़ में मारे गए लोगों के शव, राजौरी में किया गया दफ्न

श्रीनगर
जम्मू कश्मीर के शोपियां जिले में इस साल जुलाई में सेना द्वारा कथित फर्जी मुठभेड़ में मारे गये राजौरी के तीन लोगों के शव कब्रों से निकालकर उनके परिवारों के सुपुर्द कर दिए गए और बाद में उनके परिवार के सदस्यों ने शवों को राजौरी जिले में अपने गृहनगर में स्थित कब्रिस्तान में दफना दिया। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। उत्तर कश्मीर में एक अज्ञात स्थान पर शुक्रवार देर रात शवों को निकालने का काम किया गया। इससे कुछ घंटे पहले ही जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा था कि शवों को कब्रों से निकालकर परिवारों को सौंपने की कानूनी प्रक्रिया चल रही है और जल्द पूरी हो जाएगी। श्रीनगर में अधिकारियों ने कहा, ‘‘तीनों लोगों के शव कब्रों से निकाले गए और फिर उन्हें परिवारों को सौंप दिया गया। उन्होंने कहा कि तीनों के परिवारों को जम्मू क्षेत्र के राजौरी जिले से बुलाया गया था और उस स्थान पर ले जाया गया जहां तीनों को दफन किया गया था। राजौरी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक चंदन कोहली ने बताया, ‘‘तीनों शवों को उनके परिवार के सदस्यों ने शनिवार शाम उनके पैतृक कब्रिस्तानों में दफना दिया।

अधिकारियों ने बताया कि मोहम्मद इबरार (21) और इम्तियाज अहमद (26) को धारसकरी में उनके पैतृक कब्रिस्तान में दफनाया गया जबकि इबरार अहमद (18) को उनके निकटवर्ती तरकासी गांव में दफनाया गया। उन्होंने बताया कि इस मौके पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोग मौजूद थे। उन्होंने बताया कि शवों को दफनाये जाने के समय उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) और एसएसपी के नेतृत्व में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मौजूद थे। इससे पहले 30 सितंबर को कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने कहा था कि मृतकों के डीएनए के नमूनों का परिवार के सदस्यों के डीएनए से मिलान हो गया है। इसलिए तीनों शवों को बाहर निकालकर कानूनी प्रक्रिया पूरी करके परिवारों को सौंप दिया जाएगा। गौरतलब है कि 18 जुलाई को सेना ने दावा किया था दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में ऊंचाई वाले इलाके के अमशीपुरा गांव में तीन आतंकवादी मारे गए हैं। हालांकि बाद में सोशल मीडिया पर खबरें आईं कि जम्मू के राजौरी जिले के तीन लोग अमशीपुरा में लापता हो गए हैं, जिसके बाद सेना ने जांच शुरू की। शोपियां में मजदूरी करने वाले इन लोगों के परिवारों ने भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। सेना ने रिकॉर्ड चार हफ्ते में जांच पूरी करने के बाद 18 सितंबर को कहा कि ''प्रथम दृष्टया'' उसने पाया है कि उसके सैनिकों ने मुठभेड़ के दौरान सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम के तहत मिली शक्तियों के परे जाकर काम किया है और उसने इस संबंध में अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की है। पुलिस ने भी अपनी जांच शुरू करते हुए मृतकों के साथ मिलान करने के लिये उनके परिजनों के डीएनए के नमूने लिये थे। इस बीच जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी (जेकेएपी) के उपाध्यक्ष चौधरी जुल्फिकार अली ने परिवार के सदस्यों को शव सौंपने के फैसले की सराहना की और दोषियों के लिए कड़ी सजा की मांग की।

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