सांसद राजू और परिवार पर 826 करोड़ लोन फ्रॉड का केस CBI ने दर्ज किया

विजयवाड़ा
आंध्र प्रदेश के सीएम जगन मोहन रेड्डी की YSRCP के एनडीए में शामिल होने की चर्चाएं हैं। इन अटकलों के बीच सीबीआई ने पार्टी के विरोधी सांसद कनुमुरु रघु रामकृष्णा राजू और उनकी पत्नी रामदेवी के खिलाफ केस दर्ज किया है। यह केस बैंक लोन फ्रॉड को लेकर है।

नरसापुरम के सांसद राजू और उनकी पत्नी के अलावा नौ अन्य लोगों के नाम सीबीआई की एफआईआर में शामिल हैं। इनके ऊपर आरोप है कि उनकी कंपनी और उन्होंने पंजाब नैशनल बैंक के कॉन्सॉर्टियम से 826 करोड़ रुपये का लोन लेकर फ्रॉड किया।

11 ठिकानों पर सीबीआई ने की छापेमारी
सीबीआई ने केस दर्ज करते ही आरोपियों की तलाश में छापेमारी शुरू कर दी। गुरुवार को तेलंगाा के हैदराबाद, महाराष्ट्र की मुंबई और आंध्र प्रदेश के वेस्ट गोदावरी के 11 ठिकानों पर छापेमारी की गई।

राजू ने अपनी ही पार्टी को बताया था ऐंटी हिंदू
पिछले महीने राजू ने सार्वजनिक तौर पर अपनी ही पार्टी की आलोचना की और कहा कि उनकी पार्टी ऐंटी हिंदू है। 19 सितंबर को लोकसभा के शून्यकाल में राजू ने कहा था, 'आंध्र प्रदेश के मदिरों के साथ रचनात्मक विनाश हो रहा है।' उनकी पार्टी के सांसदों की तरफ से विरोध होने के बावजूद राजू लगातार इस मुद्दे पर बोलते रहे। उन्होंने हिंदू कमिशन बनाने की मांग की।

उन्होंने कहा कि बहुसंख्यक होने के बावजूद हिंदुओं के साथ अल्पसंख्यक की तरह व्यवहार किया जा रहा है। पार्टी ने उनके खिलाफ इस मामले में अनुशासनात्मक कार्रवाई की और उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया।

राजू और उनकी पत्नी समेत बेटी का भी नाम
राजू और उनकी पत्नी के अलावा सीबीआई ने उनकी बेटी कोटागिरी इंदिरा प्रियदर्शिनी, राजू की कंपनी इंद भारत थर्मल पावर लिमिटेड कंपनी, सात अन्य लोग जो कंपनी में पदाधिकारी हैं, उनके खिलाफ केस दर्ज किया है। यह मामला पीएबी की शिकायत पर दर्ज किया गया है।

सीबीआई के प्रवक्ता आरके गौर ने कहा, 'शिकायतकर्ता ने कहा है कि आरोपियों ने पीएनबी के साथ फ्रॉड किया है।' शिकायत के अनुसार कंपनी ने 2014-18 के दौरान इसके लिए जारी किए गए ऋणों को समाप्त कर दिया गया। लोन, उत्तर कन्नड़ जिले के 300 MW पावर प्लांट के लिए लिया गया था। पर्यावरण मुद्दे के कारण यह प्लांट तूतीकोरिन में शिफ्ट किया गया था।

इस तरह के फ्रॉड का आरोप
बैंक ने आरोप लगाया है कि कंपनी ने बैंक को ऋण का भुगतान करने के बजाय, 2014-18 के दौरान संबंधित पक्षों को 267 करोड़ रुपये का भुगतान किया, इसके अलावा कंपनी ने 41 करोड़ रुपये की प्राप्तियां भी उन्हें हस्तांतरित की गईं।

कंपनी ने संबंधित पक्षों को बैंकों द्वारा दिए गए 300 करोड़ रुपये की पूंजी ऋण को हस्तांतरित करने के लिए कोई दस्तावेज, कारण या औचित्य प्रदान नहीं किया। बैंक के अनुसार फंड का यह आरबीआई के दिशानिर्देशों का उल्लंघन था।

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