हाथरस कांड: निलंबित इंस्पेक्टर ने कबूला- रेप की धारा नहीं जोड़ना चाहते थे, आरोपी तहरीर दिए होते तो पीड़ित परिवार पर दर्ज करता केस

नई दिल्ली
हाथरस कांड में शुरू-शुरू में पुलिस की कार्यप्रणाली कैसी रही, इसकी पोल खुद चंदपा थाने के तत्कालीन पुलिस इंस्पेक्टर दिनेश कुमार वर्मा ने खोली है। अब वह निलंबित किए जा चुके हैं। इंडिया टुडे ने अपनी रिपोर्ट में वर्मा के कबूलनामे के बारे में बताया है कि कैसे 14 सितंबर को घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। और तो और, पीड़िता को तत्काल चिकित्सा सुविधा भी नहीं उपलब्ध कराया गया। इतना ही नहीं, वर्मा ने कैमरे के सामने यह भी कबूला है कि वह रेप की धारा नहीं जोड़ना चाहते थे और उल्टे आरोपियों की मदद करना चाहते थे।

रेप की धारा नहीं जोड़ना चाहते थे तत्कालीन इंस्पेक्टर
निलंबित पुलिस इंस्पेक्टर दिनेश कुमार वर्मा ने कहा कि वह एफआईआर में रेप की धारा नहीं जोड़ना चाहते थे क्योंकि उनका दावा है कि शुरुआती बयान में पीड़िता ने खुद पर हमले की बात कही थी, यौन उत्पीड़न या रेप का कोई जिक्र नहीं किया था। बाद में जब पीड़िता ने मीडिया के सामने खुद के साथ गैंगरेप होने के आरोप लगाए तब जाकर 22 सितंबर को एफआईआर में गैंगरेप की धारा जोड़ी गई।

आरोपियों की मदद को तैयार थे तत्कालीन इंस्पेक्टर
वर्मा ने सबसे सनसनीखेज खुलासा तो आरोपियों की मदद करने की अपनी चाहत के तौर पर किया है। उन्होंने कहा कि वह आरोपियों की मदद के लिए तैयार थे। अगर आरोपी पक्ष से कोई एक भी शख्स आगे आकर कहा होता कि पीड़िता की पिटाई तो उसके परिवार वालों ने की थी तो वह पीड़िता के परिवार के खिलाफ केस दर्ज कर दिए होते।

'शव सड़क पर रखकर राजनीति की जाती, इसलिए रातों-रात दाह संस्कार'
पीड़िता का रातों-रात अंतिम संस्कार किए जाने पर वर्मा ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया जाता तो शव को सड़क पर रखकर राजनीति होती। बवाल काटा जाता। इसी वजह से जिला प्रशासन ने रातों-रात अंतिम संस्कार कराने का फैसला किया। निलंबित इंस्पेक्टर ने कहा कि रात में दाह संस्कार का फैसला जिला प्रशासन स्तर पर ही हुआ होगा क्योंकि मुख्यमंत्री स्तर पर फैसला रात में ही नहीं आता।

29 सितंबर को पीड़िता ने दिल्ली में तोड़ा दम
19 साल की दलित नाबालिग लड़की के साथ 14 सितंबर को कथित तौर पर गैंगरेप और मारपीट हुई थी। हालांकि, यूपी पुलिस का कहना है कि मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हुई है। शुरू में पीड़िता का अलीगढ़ में इलाज हुआ लेकिन हालत में सुधार नहीं होने पर उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में शिफ्ट किया गया। वहां इलाज के दौरान 29 सितंबर को पीड़िता ने दम तोड़ दिया। योगी सरकार ने इस कांड की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। इसके अलावा सीबीआई जांच की भी सिफारिश की है। अब आरोपियों का दावा है कि लड़की को उसी के भाई और मां ने मारा-पीटा था और बाद में उसकी मौत हो गई। दूसरी ओर पीड़ित परिवार ने इसे आरोपियों का हथकंडा और मनगढ़ंत कहानी करार दिया है।

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