रॉकेट और सेटेलाइट के टुकड़े टकराने से बाल-बाल बचे, स्पेस में टला बड़ा हादसा, जानें भिड़ने के बाद क्‍या होता

न्यूयॉर्क
अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। अंतरिक्ष में मलबे (स्पेस जंक) के तौर पर पड़ी रूसी सेटेलाइट और एक निष्क्रिय चीनी रॉकेट के बीच संभावित टक्कर का खतरा टल गया है। स्पेस जंक को ट्रैक करने वाली कैलिफोर्निया की कंपनी लियोलैब्स ने आशंका जताई थी कि इन दो ऑब्जेक्ट्स की टक्कर होने पर कई सेटेलाइट्स को नुकसान पहुंच सकता है।

टक्‍कर होती तो…
लियोलैब्स ने कहा कि रूसी सेटेलाइट और निष्क्रिय चीनी रॉकेट का संयुक्त द्रव्यमान लगभग 2800 किलोग्राम था। स्पेस डॉट कॉम ने बताया कि यदि दोनों ऑब्जेक्ट्स की आपस में टक्कर हो जाती तो मलबे का एक विशाल बादल पैदा हो गया होता। क्योंकि वे 52950 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के साथ एक-दूसरे की तरफ बढ़ रहे थे। शुक्रवार को 1256 जीएमटी पर दोनों ऑब्जेक्ट्स एक-दूसरे के काफी करीब थे।

स्‍पेस में मौजूद है बड़ा कचरा
गनीमत रही कि यह आपस में टकराए नहीं। दोनों ऑब्जेक्ट्स को कॉस्मोस 2004 और सीजेड-4सी आर/बी नाम दिया गया था। लियोलैब्स ने अपने एक ट्वीट में जानकारी दी है कि उनके हालिया डाटा यह पुष्टि करते हैं कि कॉस्मोस 2004 अभी भी बरकरार है। कंपनी ने बताया कि वह इस पर नजर बनाए हुए है और भविष्य के जोखिम पर जानकारी साझा करती रहेगी। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की ओर से अंतरिक्ष मलबे पर जारी की गई एक रिपोर्ट का अनुमान है कि वर्तमान में अंतरिक्ष में एक 10 सेंटीमीटर से बड़ी 34000 वस्तुएं मलबे के रूप में घूम रही हैं।

1975 में लांच किया गया था पहला उपग्रह
दुनिया का पहला कृत्रिम उपग्रह स्पिुनिक-1 1957 में लांच किया गया था। इसके बाद से विभिन्न देशों की ओर से कई हजारों उपग्रह भी भेजे जा चुके हैं। दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां ऐसे मलबे पर नजर भी रखती हैं। फिर भी इनकी बढ़ती तादाद को देखते हुए इन्हें ट्रैक करना एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। यदि यह मलबा आपस में टकराता है तो इससे अंतरिक्ष में स्थापित सेटेलाइ्टस को क्षति पहुंच सकती है।

स्पेस जंक क्या होता है
अंतरिक्ष का मलबा यानी स्पेस जंक से तात्पर्य यह है कि कुछ ऐसा अवशेष जो नष्ट हो गया हो या टूट गया हो। इसमें खंडित और पुराने उपग्रहों और रॉकेट के अवशेषों को शामिल किया जाता है। ये अवशेष पृथ्वी की कक्षा में गुरुत्वाकर्षण बल के कारण घूमते रहते हैं और एक-दूसरे से टकराते रहते हैं तथा मलबे पैदा करते हैं। इनकी संख्या अंतरिक्ष में दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

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