पूर्वी लद्दाख: भारत-चीन के बीच जल्द खत्म होने वाला है गतिरोध? अप्रैल-मई के बाद बने नए ढांचों को नष्ट करेंगे दोनों पक्ष

नई दिल्ली 
भारत-चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद की वजह से पैदा हुआ तनावपूर्ण माहौल खत्म होता हुआ दिखाई दे रहा है। दोनों देशों के बीच डिस-एंगेजमेंट को लेकर बनी सहमति के बाद दोनों पक्ष अप्रैल-मई महीने के बाद पैंगोंग झील इलाके में बने सभी नए ढांचे को ध्वस्त करने जा रहे हैं। इसके अलावा, फिंगर 4 से लेकर फिंगर 8 के इलाके में कोई भी देश पैट्रोलिंग नहीं करेगा। चीन पहले इस इलाके में अपनी सेना के लिए पोस्ट बनाने की जिद करता रहा था, लेकिन अब नए समझौते के तहत चीन ऐसा नहीं कर सकेगा। वहीं, डेप्सांग इलाके के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच अलग से चर्चा की जाएगी। इस इलाके में चीनी सेना ने कुछ भारतीय सेना द्वारा की जाने वाली पैट्रोलिंग के प्वाइंट्स को ब्लॉक किया था। इसके अलावा, जिन पैट्रोलिंग प्वाइंट्स पर चीनी सेना ने डिस-एंगेजमेंट पूरी तरह से नहीं किया है, उस पर भी बाद में अलग से वार्ता होगी और विवादों को हल किया जाएगा।

दोनों देशों के बीच प्रस्तावों पर चर्चा इसलिए की जा रही है, क्योंकि हाल ही में दोनों पक्षों ने समझौता किया था कि दोनों पक्ष पूर्वी लद्दाख में उस इलाके में चले जाएंगे, जहां वे अप्रैल-मई महीने से पहले थे। भारत-चीन के बीच डिस-एंगेजमेंट प्लान पर चर्चा 6 नवंबर को चुशूल सेक्टर में हुई कोर कमांडर स्तर की वार्ता के दौरान की गई थी। यह डिस-एंगेजमेंट प्लान तीन स्टेप्स में किया जाना है। इसके तहत, दोनों पक्ष टैंक, बख्तरबंद वाहनों को सीमा से फ्रंटलाइन एरिया से दूर लेकर जाएंगे। टैंक्स और बख्तरबंद वाहनों को एक दिन के अंदर ही वापस ले जाना था। दोनों सेनाओं को तीन दिनों तक रोजाना अपने 30 फीसदी सैनिकों को वापस बुलाना था। भारतीय पक्ष धन सिंह थापा पोस्ट के करीब आएगा, जबकि चीन फिंगर 8 के पूर्वी दिशा की ओर वापस जाएगा।  वहीं, तीसरे और और आखिरी स्टेप में, दोनों देशों की सेनाओं को पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे व फ्रंटलाइन से वापस जाना होगा। इसमें चुशूल के नजदीक की सीमा और रेजांग ला इलाका भी शामिल है। बातचीत के दौरान, दोनों देशों में यह भी तय हुआ है कि वे डिस-एंगेजमेंट प्रक्रिया पर नजर भी रखेंगी। इसके तहत, वे बैठकों के अलावा अनमैंड एरियल व्हीकल्स (यूएवी) का इस्तेमाल करेंगी। कोर कमांडर स्तर की यह वार्ता 6 नवंबर को हुई थी, जिसमें विदेश मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी नवीन श्रीवास्तव और ब्रिगेडियर घई भी शामिल रहे थे।

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