धनतेरस की शाम सिर्फ 27 मिनट ही है पूजा का अति शुभ मुहूर्त, जानिए पूजा विधि, मंत्र, कथा से लेकर चौघड़ियां मुहूर्त

नई दिल्ली 
धनतेरस 13 नवंबर (शुक्रवार) यानी आज मनाया जा रहा है। इस साल 13 नवंबर की शाम 7 बजकर 50 मिनट से चतुर्दशी लगने के कारण धनतेरस के दिन नरक चतुर्दशी भी मनाई जाएगी। यही कारण है कि इस साल धनतेरस को ज्यादा खास माना जा रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस साल पूजा का अति शुभ मुहूर्त 27 मिनट का बन रहा है। जो कि शाम 5 बजकर 32 मिनट से शुरू होकर 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगा।

धनतेरस पूजा विधि-

1. सबसे पहले चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। 
2. अब गंगाजल छिड़कर भगवान धन्वंतरि, माता महालक्ष्मी और भगवान कुबेर की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें। 
3. भगवान के सामने देसी घी का दीपक, धूप और अगरबत्ती जलाएं। 
4. अब देवी-देवताओं को लाल फूल अर्पित करें। 
5. अब आपने इस दिन जिस भी धातु या फिर बर्तन अथवा ज्वेलरी की खरीदारी की है, उसे चौकी पर रखें।
6. लक्ष्मी स्तोत्र, लक्ष्मी चालीसा, लक्ष्मी यंत्र, कुबेर यंत्र और कुबेर स्तोत्र का पाठ करें। 
7. धनतेरस की पूजा के दौरान लक्ष्मी माता के मंत्रों का जाप करें और मिठाई का भोग भी लगाएं।

धनतेरस पर खरीदकर ला रहे हैं बर्तन तो जरूर करें यह काम

दीपदान का शुभ मुहूर्त-

धनतेरस के दिन दीपदान की भी परंपरा है। इस साल शाम 5:32 से 5:59 मिनट के बीच पूजा और दीपदान करना फलदायी साबित होगा।

क्यों किया जाता है दीपदान-

पौराणिक कथाओं के अनुसार, धनतेरस के दिन दक्षिण दिशा में दीपक जलाना शुभ होता है। कहते हैं कि एक दिन दूत ने यमराज से बातों ही बातों में प्रश्न किया कि क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है? इस प्रश्न के उत्तर में यमराज में कहा कि व्यक्ति धनतेरस की शाम यम के नाम का दीपक दक्षिण दिशा में रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। इसी मान्यता के अनुसार, धनतेरस के दिन लोग दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाते हैं।

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धनतेरस से जुड़ी पढ़ें ये पौराणिक कथा-

एक पौराणिक कथा के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र मंथन से धन्वंतरि प्रकट हुए थे तो उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वंतरि कलश लेकर प्रकट हुए थे। कहते हैं कि तभी से धनतेरस मनाया जाने लगा। धनतेरस के दिन बर्तन खरीदने की भी परंपरा है। माना जाता है कि इससे सौभाग्य, वैभव और स्वास्थ्य लाभ होता है। धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर की विधि-विधान से पूजा की जाती है।

महालक्ष्मी बीज मंत्र

ओम श्री श्री आये नम:। – इस मंत्र को माता महालक्ष्मी का बीज मंत्र कहा जाता है। कहते हैं कि धनतेरस के दिन मंत्र के जाप से मन की मुरादें पूरी होती हैं और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।

धनतेरस पूजा का शुभ मुहूर्त (Dhanteras Puja Subh Muhurat)

स्थिर लग्न वृष 12 नवंबर शुभ चौघड़ियों के साथ को शाम 6.32 से 7.37 तक

स्थिर लग्नसिंह 12 नवंबर रात 11.50 से 2.20 तक शुभ चौघड़िया के साथ रात 12.10 से 1.45 तक 

स्थिर लग्न वृश्चिक 13 नवंबर शुभ चौघड़िया के साथ को सुबह 6.51 से 9.08 तक

स्थिर लग्न कुंभ 13 नवंबर शुभ चौघड़ियों के साथ को दोपहर को 12.50 से 1.22 बजे तक

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