भारत के खिलाफ ऑस्ट्रेलियाई टीम में खतरनाक विल पुकोवस्की की एंट्री, जड़े हैं लगातार दो दोहरे शतक

नई दिल्ली
भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए ऑस्ट्रेलियाई टीम का ऐलान किया गया। इस 17 सदस्यीय टीम में विल पुकोवस्की (Will Pucovski) नाम के खिलाड़ी को शामिल किया गया है। यह ऑस्ट्रेलिया के लिए बड़ा दांव माना जा रहा है। दरअसल, यही वह खिलाड़ी है, जिसने हाल ही में घरेलू क्रिकेट में दो दोहरे शतक जड़े हैं। शेफील्ड शील्ड में दो मैचों में लगातार दो दोहरे शतक बनाए थे। उन्होंने विक्टोरिया की ओर से खेलते हुए दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद 255 रन, जबकि पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 202 रन की पारी खेली थी। रिपोर्ट्स की मानें तो यह 22 वर्षीय बल्लेबाज डेविड वॉर्नर के साथ पारी का आगाज कर सकता है। बता दें कि दो दोहरे शतक जड़ने वाले इस खिलाड़ी को टीम में शामिल करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज खिलाड़ियों ने वकालत की थी।

लोकेश राहुल, डेविड वॉर्नर, जसप्रीत बुमराह और कागिसो रबाडा जैसे अनुभवी खिलाड़ियों ने कोरोना वायरस के कारण मुश्किल परिस्थितियों में खेली गई इंडियन प्रीमियर लीग में अपने अनुभव का फायदा उठाया तो वही देवदत्त पडिक्कल, रितुराज गायकवाड़, टी नटराजन और वरुण चक्रवर्ती जैसे नए खिलाड़ियों ने अपने कौशल का लोहा मनवाया। लगभग दो महीने तक चले इस टी-20 टूर्नमेंट में अपने प्रदर्शन से चमक बिखने वाले कुछ खिलाड़ियों की सूची इस प्रकार है। लोकेश राहुल कप्तान के रूप में अपने पहले साल में राहुल ने 55.83 की औसत से 670 रन बनाने के साथ किंग्स इलेवन पंजाब को ज्यादातर मैचों में शानदार शुरुआत दिलायी। वह लगातार तीसरे साल टूर्नमेंट के शीर्ष स्कोरर रहे। उन्होंने पिछले दो सत्रों में 593 और 659 रन बनाए थे। उनकी कप्तानी में भी पंजाब की टीम ने शुरुआती सात में से छह मैचों में हार का सामना करने के बाद शानदार वापसी की लेकिन मामूली अंतर से प्लेऑफ में जगह बनाने से चूक गयी।

देवदत्त पाडिक्कल आईपीएल के अपने शुरुआती सत्र में देवदत्त पडिक्कल ने 473 रन बनाने के साथ रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के शीर्ष क्रम को स्थिरता दी। आकर्षक शॉट लगाने वाले इस युवा खिलाड़ी ने कप्तान विराट कोहली और अनुभवी एबी डि विलियर्स के बोझ को भी कम किया। वह टूर्नमेंट के उदयिमान खिलाड़ी भी बने। सनराइजर्स के कप्तान डेविड वॉर्नर ने एक बार फिर अपने बल्ले का लोहा मनवाया और इस टूर्नमेंट के लगातार छठे सत्र में 500 से अधिक रन बनाने वाले पहले खिलाड़ी बन गए। उन्होंने टूर्नमेंट में खराब शुरुआत के बाद भी टीम को प्लेऑफ में पहुंचाया। टी नटराजन सनराइजर्स को टूर्नमेंट में तीसरा स्थान दिलाने में वॉर्नर और राशिद खान के साथ बाएं हाथ के तेज गेंदबाज टी नटराजन ने सबसे अहम भूमिका निभायी। चोटिल भुवनेश्वर कुमार की अनुपस्थिति में, नटराजन ने अपने खेल में सुधार किया और लगातार सटीक यॉर्कर डाले। उन्होंने टूर्नमेंट में 31.50 की औसत से 16 विकेट लिए।

झारखंड के युवा विकेट-कीपर बल्लेबाज ने मुंबई इंडियंस को चैम्पियन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सौरभ तिवारी के चोटिल होने पर अंतिम 11 में मौका पाने वाले किशन ने 57.33 की शानदार औसत से 516 रन बनाए। उन्होंने इस दौरान सत्र में सबसे ज्यादा 30 छक्के भी लगाए। कप्तान रोहित शर्मा के चोटिल होने के दौरान उन्होंने पारी का आगाज करते हुए भी शानदार बल्लेबाजी की। रितुराज गायकवाड़ के लिए यह टूर्नमेंट फर्श से अर्श तक के सफर वाला रहा। कोरोना वायरस की चपेट में आने के कारण शुरुआती मैचों से बाहर रहने के बाद उन्होंने मौका मिलने पर पहले तीन मैच में क्रमश: शून्य, पांच, शून्य रन बनाए। उन्होंने हालांकि लगातार तीन अर्धशतक लगाकर अपनी कौशल का लोहा मनवाया। चेन्नै सुपर किंग्स के लिए यह सबसे खराब टूर्नमेंट जरूर रहा लेकिन उन्हें भविष्य का सितारा मिल गया। कागिसो रबाडा टूर्नमेंट के फाइनल में पहली बार पहुंचने वाली दिल्ली कैपिटल्स की सफलता के पीछे दक्षिण अफ्रीका के इस तेज गेंदबाज का हाथ रहा। उन्होंने 18.26 की औसत से सत्र में सबसे अधिक 30 विकेट लिए। उन्होंने हमवतन एनरिच नॉर्त्जे (22 विकेट) के साथ शानदार जोड़ी बनायी।

अबूझ स्पिनर वरुण चक्रवती ने का प्रदर्शन इतना दमदार रहा की कोलकाता नाइट राइडर्स को कुलदीप यादव जैसे अनुभवी स्पिनर को अंतिम 11 से बाहर रखना पड़ा। उन्होंने भी 20.94 की औसत से 17 विकेट लेकर टीम को निराश नहीं किया। इसमें एक मैच में पांच विकेट भी शामिल है। वह इस प्रदर्शन के बाद भारतीय टीम के लिए भी चुने गए लेकिन कंधे की चोट के कारण उनकी जगह फिर नटराजन का मिली। शिखर धवन पूरे सत्र में दिल्ली कैपिटल्स की टीम पारी की अच्छी शुरुआत के लिए संघर्ष करती दिखी लेकिन शिखर धवन एक छोर पर मजबूती से डटे रहे। उन्होंने टूर्नमेंट में 618 रन बनाए जिसमें लगातार दो मैचों में शतक लगाने का रेकॉर्ड भी शामिल है। फर्स्ट क्लास रेकॉर्ड की बात करें तो पुकोवस्की का खेल दमदार रहा है। उन्होंने 22 मैचों में 55.48 की औसत और 50.70 की स्ट्राइक रेट से 1720 रन बनाए हैं। उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर नाबाद 255 रहा है। इस दौरान उनके नाम 6 शतक और 5 अर्धशतक हैं। लिस्ट-ए की बात करें तो उनके नाम 12 मैचों में 26.40 की औसत 264 रन बनाए हैं। इसमें एक शतक और एक अर्धशतक है।

सबसे ज्यादा मैच जीतने की बात हो या सबसे ज्यादा खिताब- रोहित शर्मा आईपीएल के सबसे कामयाब कप्तान हैं। रोहित ने अपनी कप्तानी में मुंबई को पांच बार चैंपियन बनाया है। हैमस्ट्रिंग चोट के कारण वह चार मैच नहीं खेल पाए लेकिन सीमित ओवरों के प्रारूप में भारत के नियमित उप-कप्तान सही समय पर रंग में आ गए। दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ फाइनल में उन्होंने 51 गेंद पर 68 रन बनाए। रोहित खुद बहुत शांत रहते हैं और कोच के रूप में उनके पास महेला जयवर्धने हैं जो खुद भी काफी शांत चित हैं। नीलामी प्रक्रिया से लेकर टूर्नमेंट के फाइनल तक रणनीति बनाने में महेला का काफी योगदान रहा। ट्रेंट बोल्ट, जो पहले दिल्ली कैपिटल्स का हिस्सा थे, उन्हें ट्रेड करके अपनी टीम में शामिल करना, एक मास्टर स्ट्रोक था। फाइनल में राहुल चाहर की जगह जयंत यादव को खिलाना भी एक रणनीतिक फैसला था, जो काम कर गया। कहते हैं- इट्स ऑल अबाउट हटिंग इन पेयर्स- यानी गेंदबाजी दोनों छोर से हमलावर होने का नाम है। क्या इस आईपीएल में तेज गेंदबाजों की किसी जोड़ी ने बुमराह और बोल्ट जैसा दम दिखाया है? शायद नहीं। कई मौकों पर इन्हें खेल पाना असंभव रहा। इस जोड़ी ने कुल 52 विकेट लिए। अगर बोल्ट ने पावरप्ले में विपक्षी टीम को परेशान किया तो बुमराह किसी भी स्टेज पर सामने वाली टीम क लिए बड़ा खतरा थे। जिस तरह यॉर्कर पर उन्होंने पहले क्वॉलिफायर में शिखर धवन को बोल्ड किया उसे लंबे समय तक याद किया जाएगा। इन परिस्थितियों जहां स्विंग बहुत मुश्किल से हो रही थी वहां बोल्ट ने गेंद को काफी स्विंग करवाया। दिल्ली कैपिटल्स के खिलाफ फाइनल मैच की पहली ही गेंद पर मार्कस स्टॉयनिस का विकेट मिला। यहीं से मैच का मिजाज तय हो गया।

आप रोहित शर्मा से आईपीएल में अच्छे फॉर्म की उम्मीद कर सकते हैं लेकिन साउथ अफ्रीका के विकेटकीपर बल्लेबाज क्विंटन डि कॉक ने कई ताबड़तोड़ पारियां खेलकर विपक्षी टीम को लगातार बैकफुट पर धकेला। डि कॉक ने इस लीग में 503 रन बनाए। उनका स्ट्राइक रेट 140.50 का रहा और औसत 35.92 का। उनकी फॉर्म की वजह से मुंबई की टीम अपना लेफ्ट-राइट कॉम्बिनेशन बनाए रख सकी और उसने पावरप्ले का पूरा फायदा उठाया। नंबर तीन और चार पर भी टीम को सूर्यकुमार यादव और इशान किशन का भरपूर साथ मिला। यादव ने 40 के औसत और 145 के स्ट्राइक रेट से 480 रन बनाए वहीं इशान किशन ने 57.33 के औसत और 145.76 के स्ट्राइक सेट से 516 रनों का योगदान दिया। बल्लेबाजी के लिहाज से देखें तो मुंबई इंडियंस आईपीएल इतिहास की सबसे मजबूत टीम है। टीम के पास कायरन पोलार्ड और पंड्या बंधु (हार्दिक और क्रुणाल) हैं। वे आखिरी पांच ओवरों में दमदार बल्लेबाजी करते हैं। वे बड़े शॉट्स खेलते हैं। इस पूरे सीजन में पंड्या ने 25 छक्के लगाए लेकिन वह सिर्फ बल्लेबाज के तौर पर खेले। पोलार्ड ने 22 छक्के लगाए। टीम ने कई खिलाड़ियों को बरसों तक टीम के साथ रखा। टीम सेट हो चुकी है और खिलाड़ियों के बीच एक मजबूत रिश्ता बन चुका है। चूंकि खिलाड़ी एक-दूसरे के साथ काफी समय से खेल रहे हैं इसलिए वे परिवार का हिस्सा बन चुके हैं। फाइनल से पहले भी खिलाड़ी एक-दूसरे के साथ हंसी-मजाक कर रहे थे। खिलाड़ी अपना निजी फायदा छोड़कर टीम के हित में मिलकर काम करते हैं। इसका एक उदाहरण सूर्यकुमार यादव का कप्तान रोहित शर्मा को बचाने के लिए खुद को रनआउट करवाना भी है।

ऑस्ट्रेलिया टेस्ट टीम: टिम पेन (कप्तान), सीन एबोट, जो बर्न्स, पैट कमिंस, कैमरन ग्रीन, जोश हेजलवुड, ट्रेविस हेड, मार्नस लाबुशेन, नाथन लियोन, माइकल नासिर, जेम्स पेटिंसन, विल पुकोवस्की, स्टीव स्मिथ, मिशेल स्टार्क, मिशेल स्वेपसन, मैथ्यू वेड, डेविड वॉर्नर।

ऑस्ट्रेलिया ए टीम: सीन एबोट, एस्टोन एगर, जो बर्न्स, जैकसन बर्ड, एलेक्स कारे, हैरी कोन्वे, कैमरन ग्रीन, मार्कस हैरिस, ट्रेविस हेड, मोइजेस हेनरिक्स, निक मेडिंसन, मिशेल मार्श (फिट होने पर), माइकल नासिर, टिम पेन, जेम्स पेटिंसन, विल पुकोवस्की, मार्क स्कीटी, विल सदरलैंड, मिशेल स्वेपसन।

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