राहत की खबर: अगले साल आ जाएगी कोरोना वैक्सीन 

 दिल्ली
दिल्ली में एक बार फिर कोरोना वायरस संक्रमण का दौर लौट आया है और तेजी से लोग इसके शिकार बन रहे हैं लेकिन इस बीच राहत की खबर ये है कि कोरोना वैक्सीन को लेकर अब तस्वीरें साफ होने लगी है. अगले साल तक वैक्सीन के उपलब्ध होने की पूरी संभावना है जिसके बाद इसकी कीमत को लेकर भी चर्चा होने लगी है. 
 
अमेरिकी, जर्मनी, ब्रिटेन सहित दुनिया के दूसरे देशों की कंपनियां अब वैक्सीन की अनुमानित कीमतों पर विचार कर रही है. अमेरिका में वैक्सीन को विकसित करने में 955 मिलियन डॉलर खर्च किए जाने के बाद उम्मीद जताई जा रही है कि हर व्यक्ति को वहां 32- 37 डॉलर यानी करीब 2800 रुपये में वैक्सीन की एक खुराक मिल सकती है.
 
फाइजर ने कहा है कि उसे अपने वैक्सीन को विकसित करने के लिए कोई फेडरल फंडिंग नहीं मिली, हालांकि जर्मन सरकारी सहायता में बायोएनटेक को 375 मिलियन यूरो (444 मिलियन डॉलर) मिले. फाइजर वैक्सीन मूल्य सीमा लगभग 3,000 रुपये आंकी गई है.अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना की तुलना में यह वैक्सीन अधिक महंगी हो सकती है.
 
फाइजर ने अमेरिका के साथ लगभग 2 बिलियन डॉलर की आपूर्ति का समझौता किया है. यू.एस. ने मॉडर्ना के वैक्सीन की खरीद के लिए 1.53 बिलियन डॉलर तक का भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की है. वहीं स्पुतनिक वी कंपनी की तरफ से वैक्सीन की कीमत पर अभी कोई संकेत नहीं दिया गया है. उन्होंने अभी कोई भी मूल्य तय नहीं किया है.
 
दूसरी तरफ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन COVISHEILD को कम-और मध्यम आय वाले देशों के लिए 3 डॉलर यानी की सिर्फ 225 रुपये में उपलब्ध कराने का दावा किया जा रहा है. वहीं भारत में आईसीएमआर की मदद से सीरम इंस्टीट्यूट ने भी COVAXIN से वैक्सीन विकसित की है. सीरम के सीईओ अदार पूनावाला ने वैक्सीन को 1000 रुपये से कम में लोगों को उपलब्ध कराने का संकेत दिया हैं.
 
वहीं नोवामेक्स वैक्सीन का भी भारत में उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट को ही करना है. ऐसे में 240 रुपये प्रति खुराक की कीमत पर करीब 100 मिलियन खुराक का उत्पादन कंपनी करेगी. बात अगर इन वैक्सीन के संग्रहण की करें तो उसका भी तरीका अलग-अलग होगा. फाइजर का टीका एक mRNA टीका है और इसे इस्तेमाल करने से कुछ दिन पहले तक अल्ट्रा-कोल्ड स्टोर में रखा जाएगा. वहीं Pfizer / BioNTech वैक्सीन को अल्ट्रा-कोल्ड चेन – फ्रीज़र्स माइनस 70C और माइनस 80C के बीच रखा जाना है.
 
अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना का वैक्सीन भी mRNA टीका है. इस वैक्सीन को 30 दिनों के लिए रेफ्रिजरेटर के तापमान पर रखना होगा जो पहले से अनुमानित सात दिनों की तुलना में काफी लंबा है. एक महीने के लिए वैक्सीन को आधुनिक फ्रिज में 2 से 8C तक के न्यूनतम तापमान पर रखा जा सकता है. 
  
स्पुतनिक वी एक एडेनोवायरल वैक्सीन है और इसके लिए बहुत ठंडे तापमान के भंडारण की आवश्यकता नहीं होती है. रूस का स्पुतनिक वी टीका को अधिकतम 18 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जा सकता है. एस्ट्राज़ेनेका-ऑक्सफोर्ड का ChAdOx1 वैक्सीन (भारत में निर्मित AZD1222 और कोविशिल्ड), जो कि सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा भारत में निर्मित किया जाएगा, को 2-8 डिग्री सेल्सियस पर भंडारित किया जाएगा. वैक्सीन एक सामान्य कोल्ड एडेनोवायरस के कमजोर संस्करण से बनी है.
 
अब सवाल उठता है कि आखिर कोरोना वैक्सीन लोगों को कैसे दिया जाएगा. तो इसका जवाब ये है कि तमाम दूसरे वैक्सीन की तरह ही इसे भी इंजेक्शन के द्वारा ही मानव शरीर में पहुंचाया जाएगा. फाइजर, मॉडर्ना, स्पुतनिक और ऑक्सफोर्ड के टीके तरल आधारित हैं इन्हें इंजेक्शन के जरिए बीमार शख्स को दिया जाएगा.
 
भारत बायोटेक द्वारा विकसित किए जा रहे कोवाक्सिन का अब चरण -3 परीक्षण किया जा रहा है, कहा गया है कि कंपनी कोविड -19 के लिए एक अन्य वैक्सीन पर भी काम कर रही है जो नाक में बूंदों के रूप में इस्तेमाल होगी और अगले साल तक यह तैयार हो सकती है.

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