आज मनाई जा रही है संकष्टी चतुर्थीगणपति की होगी आराधनाविघ्नों को हरते हैं विघ्नहर्ता 

आज संकष्टी चतुर्थी मनाई जा रही है. किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की अराधना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि, संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) के दिन भगवान गणपति की पूरे विधि- विधान के साथ पूजा करने से सारी इच्छाएं पूरी होती हैं. संकष्टी चतुर्थी हर महीने की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. पूरे साल में संकष्टी चतुर्थी के 13 व्रत रखे जाते हैं.

संकष्टी चतुर्थी पर कैसे करें पूजा?

संकष्टी चतुर्थी के दिन लोग सूर्योदय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं. इस दिन भक्त पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा करते हैं. इस दिन स्नान करके साफ हल्के लाल या पीले रंग के कपड़े पहनें. भगवान गणपति के चित्र को लाल रंग का कपड़ा बिछाकर रखें. भगवान गणेश की पूजा करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ मुंह करें. भगवान गणपति के सामने दीया जलाएं और लाल गुलाब के फूलों से भगवान गणपति को सजाएं. पूजा में तिल के लड्डू गुड़ रोली, मोली, चावल, फूल तांबे के लौटे में जल, धूप, प्रसाद के तौर पर केला और मोदक रखें. गणपति को दूर्वा (घास) बहुत प्रिय है इसलिए संकष्टी चतुर्थी के दिन उन्हें दूर्वा जरूर अर्पित करें.

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

संकष्टी चतुर्थी का अर्थ होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी. इस दिन भगवान गणपति की आराधना करने से जीवन के सारे दुखों से मुक्ति मिल जाती है. भगवान गणेश अपने भक्तों की सभी विघ्नों को हर लेते हैं, इसीलिए इन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना करके वरदान प्राप्त किया जा सकता है. मान्यता है कि संकष्टी के दिन गणपति की पूजा करने से घर से नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं और शांति बनी रहती है.

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