कर्नाटक में भी बदलाव के आसार, भाजपा राज्यों के शीर्ष नेताओं को राष्ट्रीय राजनीति में लाएगी: भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा

नई दिल्ली 
भाजपा नेतृत्व अगले लोकसभा चुनाव के पहले देश के विभिन्न राज्यों में नए नेतृत्व को सामने लाएगा। राज्यों के सत्ता केंद्रों में सालों से जमे नेताओ को राष्ट्रीय राजनीति में लाया जा रहा है और वहां पर नए चेहरों को उभारा जा रहा है। हालांकि इसमें समाजिक समीकरणों का भी ध्यान रखा जा रहा है।राज्यों में अपनी जड़ें मजबूत करने के लिए भाजपा बड़े नाम और बड़े चेहरों के बजाय नए चेहरों को उभार रही है। ताकि भविष्य के लिए नई टीम तैयार हो सके। राज्यों के सत्ता केंद्रों में बदलाव किए जा रहे है। हालांकि यह प्रक्रिया अमित शाह के कार्यकाल में शुरू हो गई थी, लेकिन पूरी नहीं हो सकी थी। अब नए अध्यक्ष जे पी नड्डा इसे आगे बढ़ा रहे हैं। इसके तहत राज्यों में सालों से जमे नेताओं को राष्ट्रीय राजनीति में लाया जा रहा है। कुछ राज्यों में बदलाव हो चुके हैं और बाकी में अगले दो साल के भीतर किए जाएंगे।
 
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपने टीम में बड़े बदलाव कर साफ कर दिया है के बड़े नामों के बजाय वे कार्यकर्ताओं में से नए और ऊर्जावान चेहरों को आगे जा रहे हैं। ताकि विस्तार के बाद व्यापक हुए पार्टी के दायरे में सभी वर्ग और समूहों को समंजित किया जा सके। ऐसे में कुछ राज्यों में संगठन स्तर पर और कुछ राज्यों में सत्ता के स्तर पर भी बदलाव किए जा सकते हैं।

हाल में बिहार से सुशील मोदी को राज्यसभा के जरिए राष्ट्रीय राजनीति में लाया गया है। आने वाले दिनों में कर्नाटक, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और राजस्थान में बदलाव किए जा सकते हैं। इन राज्यों में संगठन स्तर पर बदलाव किए जा चुके हैं, लेकिन सत्ता केंद्रों के चेहरे बदलना अभी बाकी है। पार्टी की कोशिश है कि डेढ़ से दो दशक तक तक जो लोग राज्यों में नेतृत्व करते रहे हैं अब उनको बदलना चाहिए। क्योंकि बदलाव के साथ नए लोग पार्टी से जुड़ते हैं और चुनाव में इसका काफी लाभ मिलता है।

सूत्रों के अनुसार, कर्नाटक में सत्ता में बदलाव किए जाने की संभावना है लेकिन इसके पहले पार्टी वहां पर सरकार की स्थिरता सुनिश्चित करेगी। मध्यप्रदेश में भी मौजूदा स्थितियों को देखते हुए पार्टी अभी इंतजार कर रही है, लेकिन अगले विधानसभा चुनाव के पहले वहां भी बदलाव होना है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी ने संगठन में बदलाव किए हैं, लेकिन सत्ता केंद्र में बैठे नेताओं को बदलना अभी बाकी है।

उत्तराखंड में भी बदलाव किए जा सकते हैं। पार्टी के लिए दिल्ली अभी भी एक समस्या है क्योंकि यहां पर वह संगठन में बदलाव तो करती रहती है लेकिन सत्ता केंद्र के चेहरे को नहीं उभारा जा सका है। महाराष्ट्र, आंध्र व तेलंगाना में बदलाव हो चुके हैं। असम में विधानसभा चुनाव के बाद बदलाव संभावित है।

Back to top button