गुरनाम सिंह चढूनी संयुक्त किसान मोर्चा से बाहर

नई दिल्ली

पिछले 50 दिनों से भी ज्यादा समय से दिल्ली की सीमाओं पर बड़ी संख्या में किसान नए कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. 40 से ज्यादा किसान मजदूर यूनियन इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं लेकिन क्या किसान संगठनों के बीच सब कुछ ठीक नहीं है?

दरअसल, यह सवाल तब उठा जब हरियाणा के भारतीय किसान यूनियन के नेता गुरनाम सिंह चढूनी को संयुक्त किसान मोर्चा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए कमेटी भी बनाई गई है. किसान नेता शिवकुमार कक्का के मुताबिक गुरनाम सिंह चन्नी पिछले कुछ दिनों से विपक्षी पार्टियों से दिल्ली के मावलंकर हॉल में मुलाकात कर रहे थे और उनकी बैठकों में शामिल हो रहे थे. वहीं, किसान मोर्चे की बैठक से नदारद रह रहे थे.

उधर, कार्रवाई से नाखुश गुरनाम सिंह ने शिव कुमार कक्का को आरएसएस का एजेंट करार दे दिया और कहा कि यह कार्रवाई उनके इशारे पर हुई है. गुरनाम सिंह के आरोप पर शिवकुमार कक्का ने कहा कि उनका बयान क्रिया की प्रतिक्रिया है. शिव कुमार का कहना है कि गुरनाम सिंह ने संयुक्त मोर्चा की नीतियों के खिलाफ जाकर राजनीतिक दलों के साथ बैठक की. किसान संगठन इस आंदोलन का राजनीतिकरण नहीं होने देंगे.

हाल ही में गुरनाम सिंह चन्नी ने कांग्रेस के नेताओं के साथ मुलाकात की जिसके बाद संयुक्त मोर्चा ने उनके खिलाफ कार्रवाई की थी. किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता सतनाम सिंह पन्नू का भी कहना है गुरनाम सिंह के इस कदम के चलते किसानों और किसान संगठनों में नाराजगी है. इस वजह से उनके खिलाफ कार्रवाई की गई.

किसान नेता प्रेम कुमार भंगू मानते हैं कि इस कदम से भले यह संदेश जाए संगठनों में सब कुछ ठीक नहीं है, लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा की नीतियों के खिलाफ जाने की अनुमति किसी भी संगठन को नहीं है. प्रेम सिंह भंगू कहते हैं कि, अभी उनके खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई है, बल्कि एक कमेटी का गठन किया गया है, जिसके सामने गुरनाम सिंह को पेश होना है और अपनी सफाई देनी है.

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