वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने ये होंगी 5 चुनौतियां  

नई दिल्ली
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को ऐसे वक्त में केंद्रीय बजट पेश करने जा रही हैं, जब सेंसेक्स में ऐतिहासिक उछाल से निवेशकों का भारतीय अर्थव्यवस्था में भरोसा और बढ़ा है। यह वह वक्त भी है जब लग रहा है कि देश की इकोनॉमी कोरोना वायरस महामारी के झटके से बाहर निकल रही है। ऐसे में वित्त मंत्री की ओर से बजट में की जाने वाली घोषणाएं अगले वित्त वर्ष में इकोनॉमिक रिकवरी और उसके विकास की दिशा तय करेगी। लेकिन, भले ही चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही ने भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए उम्मीदों के दीए जलाए हैं, लेकिन केंद्र सरकार के पास चुनौतियों की भी कमी नहीं है। 

हम यहां उन्हीं 5 चुनौतियों पर फोकस कर रहे हैं, जिनपर वित्त मंत्री को ध्यान देना चाहिए, ताकि कोरोना की वजह से हमने जितना गंवा दिया, आने वाले वर्षों में कम से कम अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर हमें उसकी ज्यादा टीस ना रह जाए। मांग बढ़ाने पर जोर इस बात में कोई दो राय नहीं कि सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की वजह से महामारी का अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला असर थम गया है। देश लगातार दो तिमाही में जीडीपी में गिरावट की वजह से आई मंदी के दौर से धीरे-धीरे निकल रहा है। 

हालांकि, देश की इकोनॉमी के रिकवरी के कई तरह के संकेत मौजूद हैं, बावजूद इसके मांग को लेकर मौजूदा अनिश्चितता अर्थशास्त्रियों को अभी भी परेशान कर रही है। कुछ विशेषज्ञों ने सरकार से कहा है कि वह ऐसे कदम उठाए जिससे मांग बढ़े और खपत में आई कमी को रोकने की कोशिश करे, जिसकी वजह से सरकार के राजस्व को भी नुकसान हो रहा है। हालांकि, पिछले तीन महीने में जीएसटी (GST)के ज्यादा कलेक्शन से यही संकेत मिल रहे हैं कि खपत में इजाफा हुआ है। वैसे संभावना है कि सरकार लोगों के बीच खपत बढ़ाने के लिए कुछ और रियायतों की घोषणा कर सकती है, जिससे लघु और मध्यम-अवधि में इकोनॉमिक रिकवरी में मदद मिल सकती है। 

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