किसानों की आय बढ़ाने के लिए शुरू होगी किसान रेल योजना

नई दिल्ली
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश किया, जिसमें उन्होंने किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में एक बड़ी घोषणा की है। वित्त मंत्री ने फल, सब्जियां और मांस जैसे जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों की ढुलाई के लिए 'किसान रेल' का प्रस्ताव किया है। इसके तहत, इन उत्पादों को ट्रेन के रेफ्रिजरेटेड डिब्बों में ले जाने की सुविधा होगी।

हालांकि, यह कोई नई पहल नहीं है, क्योंकि इससे पहले साल 2004 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने भी इसी तरह की योजना की शुरुआत की थी, लेकिन नाकाम होने पर इसे बाद में बंद करना पड़ा था। अब वही सवाल फिर सिर उठा रहा है कि जब यह योजना पहले परवान नहीं चढ़ पाई है, फिर वही गलती करने की क्या जरूरत है। बहरहाल, पिछले अनुभवों से तो यह तय है कि इस योजना को परवान चढ़ाना इतना आसान नहीं होगा और यह बड़ी चुनौती होगी।

किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए उनके उत्पादों का बाजार बढ़ाने के लिए सब्जियों, फलों तथा मांस जैसे कृषि उत्पादों की दूर-दूर तक ढुलाई के लिए रेफ्रिजरेटेड डिब्बों का प्रस्ताव किया गया है। विशेष किसान रेलगाड़ियां सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) के तहत चलाने का प्रस्ताव है। वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए किसानों के लाभ के लिए कई उपायों का प्रस्ताव किया। उन्होंने कहा कि जल्द खराब होने वाले सामान के लिए राष्ट्रीय शीत आपूर्ति श्रृंखला के निर्माण को लेकर रेलवे पीपीपी मॉडल में किसान रेल बनाएगी। इससे ऐसे उत्पादों की ढुलाई तेजी से हो सकेगी।

वित्त मंत्री ने बजट भाषण में कहा कि सरकार का चुनिंदा मेल एक्सप्रेस और मालगाड़ियों के जरिए जल्द खराब होने वाले सामान की ढुलाई के लिए रेफ्रिजरेटेड पार्सल वैन का भी प्रस्ताव है। जल्द खराब होने वाले फलों, सब्जियों, डेयरी उत्पादों, मछली, मांस आदि को लंबी दूरी तक ले जाने के लिए इस तरह की तापमान नियंत्रित वैन की जरूरत है।

लालू यादव ने बिहार के कृषि उत्पादों का बाजार बढ़ाने के लिए रेफ्रिजरेटेड वैन योजना की शुरुआत की थी। उन्होंने 20 जून, 2004 को पटना से दिल्ली के बीच चलने वाली ट्रेन जनसाधारण एक्सप्रेस में लगे दूध और सब्जियों से लदे एक रेफ्रिजरेटेड कोच को राजेंद्र नगर टर्मिनल से हरी झंडी दिखाकर नई दिल्ली के लिए रवाना किया था। लेकिन यह योजना कुछ ही महीनों बाद बंद हो गई।

इसी तरह, पटना से हावड़ा के बीच भी ट्रेनों में इस तरह के रेफ्रिजरेटेड वैन जोड़कर चलाए गए, लेकिन कुछ महीनों में यह भी बंद हो गए। इन रेफ्रिजरेटेड वैन में सब्जियां और दूध की ढुलाई होती थी। कुछ महीने तक तो किसी तरह यह योजना चली, लेकिन बाद में यह भी बंद हो गई।

दरअसल, इसके बंद होने के पीछे कई कारण थे। सबसे पहला कारण इसका व्यवहार्य नहीं होना था। गांवों से बड़े बाजारों तक माल पहुंचने में लंबा वक्त लग जाता था, उसके बाद उन्हें रेफ्रिजरेटेड वैन में लोड होने में वक्त लगता था और फिर माल को गंतव्य तक पहुंचने में भी वक्त लग जाता था। चूंकि ये उत्पाद सड़ने वाले थे, इसलिए गंतव्य तक पहुंचने से पहले ही इनकी गुणवत्ता खराब हो जाती थी, जिसके कारण बाजार में इन्हें कोई पूछने वाला नहीं होता था। मूलतः इसी कारण से यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी।

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