शर्मनाक, गणतंत्र दिवस भी था, लालकिले का प्राचीर भी था, पर तिरंगे से क्या सलूक किया

नई दिल्ली
किसानों ने ट्रैक्टर मार्च के नाम पर आज जो किया वो तस्वीरें सबके सामने हैं। किसानों ने पहले ऐलान किया था कि वो तिरंगे के सम्मान में ये रैली करेंगे और इससे गणतंत्र दिवस की शोभा में कोई कमी नहीं आएगी बल्कि इस बार का नजारा और भव्य होगा मगर जो कुछ भी हुआ वो निंदनीय है। किसानों ने पूरी दिल्ली में हड़कंप मचा दिया। आईटीओ से लगाकर लाल किले तक किसानों ने खूब उपद्रव किया। सोशल मीडिया में ऐसे कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिससे न चाहते हुए भी इस आंदोलन पर सवाल उठाए जा रहे हैं। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें उपद्रवी किसान लालकिले की प्राचीर पर लहराते झंडे की जगह सिख पंथ का झंडा लगाता हुआ नजर आ रहा है। इतना ही नहीं वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि ऊपर पोल पर चढ़ रहे शख्स को नीचे से एक आदमी तिरंगा पकड़वाता है मगर वो प्रदर्शनकारी उस तिरंगे को भीड़ के ऊपर फेंक देता है। इसके बाद वो पंथ का झंडा पोल पर लहरा देता है।

तिरंगे का अपमान क्यों?
जिस तरह इस तिरंग को इस शख्स फेंक रहा है उससे तो अब सवाल उठता है कि क्या लाखों झंडे जो ये किसान लेकर ट्रैक्टर रैली में शरीक हो रहे थे वो क्या था। इस तरह तिरंगे का अपमान क्यों किया गया? सवाल यहां ये भी उठता है कि क्या कोई भी धर्म, संप्रदाय या किसी भी पंथ का झंडा तिरंगे से ऊपर हो सकता है क्या?

ट्रैक्टर मार्च के नाम पर बवाल
हर साल स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से राष्‍ट्रध्‍वज फहराते हैं। इस ऐतिहासिक इमारत की उसी प्राचीर पर गणतंत्र दिवस के दिन कोई और झंडा फहर रहा था। वजह यह थी कि कुछ प्रदर्शनकारी किसान सरकार को संदेश देना चाहते थे। ट्रैक्‍टर रैली में पर्याप्‍त हुड़दंग मचाने के बाद जब किसानों का जत्‍था लाल किले पहुंचा तो मानों यहां बवाल चरम पर पहुंच गया। कुछ उपद्रवी लाल किले की प्राचीर पर चढ़ गए। ठीक उसी जगह अपना झंडा फहरा दिया जहां हर साल तिरंगा फहराया जाता है। ये वही जगह है जहां खड़े होकर हर साल प्रधानमंत्री राष्‍ट्र के नाम संदेश देते हैं। संदेश तो आज भी दिया गया है, मगर यह संदेश किसी लिहाज से ठीक नहीं है। इस ऐतिहासिक स्मारक के कुछ गुंबदों पर भी झंडे लगा दिए।

 

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