वसीम जाफर पर लगे खिलाड़ियों से धार्मिक भेद-भाव के आरोप, सपोर्ट में आए अनिल कुंबले

नई दिल्ली
वसीम जाफर पर उत्तराखंड क्रिकेट के हेड कोच पद से इस्तीफा देने के बाद आरोप लग रहे हैं कि वे धार्मिक आधार पर खिलाड़ियों से भेद-भाव रखते थे और टीम के चयन में अपनी पसंद को आगे रखते थे। इतना ही नहीं यह भी कहा गया कि जाफर टीम में एक मौलवी को भी लेकर आ गए थे। जाफर ने इन सभी आरोपों के जवाब मीडियो को दे दिए हैं। उन्होंने ट्वीट भी किया है कि अगर वे सांप्रादायिक आधार पर भेदभाव रखते तो टीम में जय बिस्ता को कप्तानी के तौर पर आगे ना बढ़ाते। उन्होंने कहा कि सीएयू (क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड) ने कप्तानी के तौर पर इकबाल नाम के खिलाड़ी को ही वरीयता दी थी। ट्वीट में आगे जाफर ने साफ कहा कि उन्होंने किसी भी तरह के मौलवियों को नहीं बुलाया। 

उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि इकबाल ने वास्तव में मौलवी को बुलाया था, लेकिन यह भी कहा कि जैव बुलबुले का उल्लंघन नहीं किया गया था। कमिंस ने बताया- कोहली के जाने के बाद कौन सा भारतीय बल्लेबाज था उनका सबसे बड़ा विकेट जाफर यह भी बताते हैं कि उन्होंने केवल इस कारण कोच पद से इस्तीफा दिया क्योंकि सीएयू के चयनकर्ता और सचिव अपनी पसंद के खिलाड़ियों को चुनना चाहते थे। जाफर पर यह भी आरोप लगा कि वे टीम में धार्मिक नारे को रुकवाकर कुछ और नारा लगवाना चाहते थे। इस पर जाफर ने कहा कि टीम एक सिख सुमदाय में बोले जाने वाले नारे को लगाती थी जिसके बजाए उन्होंने कहा कि 'गो उत्तराखंड' कहना अधिक सही होगा। अब दिग्गज स्पिनर अनिल कुंबले ने इसी ट्वीट का जवाब देते हुए जाफर का साथ दिया है और कहा है कि जाफर ने बिल्कुल सही फैसला किया। कुंबले का ट्वीट इस प्रकार था- "मैं आपके साथ हूं वसीम। सही फैसला किया है। दुर्भाग्य से यह खिलाड़ी होंगे जो आपके मार्गदर्शन का लाभ नहीं उठा पाएंगे।"
 

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