UP में झाड़ू लगाएंगे सुरेश रैना, देंगे स्वच्छता का संदेश

नई दिल्ली
टीम इंडिया के बल्लेबाज सुरेश रैना को अब तक आपने बल्ले से विपक्षी टीम का सफाया करते हुए देखा होगा, लेकिन अब वह हाथ में झाड़ू लेकर सड़कों की सफाई करते दिखेंगे. स्वच्छ भारत के ब्रांड एंबेसडर रैना महात्मा गांधी के 150वें जयंती वर्ष में उत्तर प्रदेश में धुआंधार दौरा कर आम जनता को स्वच्छता का न केवल संदेश देंगे, बल्कि खुद करके भी दिखाएंगे कि सफाई ऐसे रखी जाती है.

सुरेश रैना ने उत्तर प्रदेश में स्वच्छता के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए 'मेरा उत्तर स्वच्छ प्रदेश' अभियान शुरू किया है. एक साल लंबे इस अभियान के माध्यम से रैना लोगों से स्वच्छता के साथ बेहतर भारत के जागरूक कर रहे हैं.

रैना पहले से ही स्वच्छ भारत मिशन के लिए एंबेस्डर हैं. उन्होंने पूरे राज्य का दौरा करने की ठानी है. रैना का मानना है कि सिर्फ नारे से उत्तर प्रदेश उत्त्म प्रदेश नहीं बनेगा और न ही सिर्फ उनकी अपील भर से. इसके लिए खुद झाड़ू उठानी होगी ताकि लोगों की झिझक दूर हो. हर वक्त उनके दिमाग में सफाई का विचार कौंधता रहे. इसलिए उनका उद्देश्य राज्य का दौरा करना और स्वच्छाग्रही युवाओं की सेना बनाना है.

रैना ने कहा कि ये सेना दूसरों में स्वच्छता विचार को जगाने में मदद करेगी. स्वच्छ भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रैना भी इस रचनात्मक पहल में शामिल होकर वीडियो पोस्ट कर रहे हैं.

इस अभियान के बारे में रैना ने कहा कि मैं इसे एक्स्ट्रा इनिंग के रूप में मानता हूं. हालांकि इस बार यह अलग है. पिच बड़ी है, चुनौती मुश्किल है, लेकिन मैं वहां जाकर युवा भारतीयों की एक टीम बनाने जा रहा हूं जो स्वच्छ भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए हाथ मिलाएंगे.

रैना स्वच्छता, मातृ और शिशु स्वास्थ्य इत्यादि जैसे अन्य सामाजिक मुद्दों के प्रति अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं. 2017 में रैना ने अपनी पत्नी प्रियंका चौधरी के साथ ग्रेसिया रैना फाउंडेशन की स्थापना की जो महिलाओं और बच्चों को ओपीडी ऑन व्हील्स प्रोग्राम के जरिए मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल प्रदान कर रहा है. किशोरावस्था व मातृत्व स्वास्थ्य पर जागरूकता कार्यशालाएं आयोजित कर रहा है. इन स्वास्थ्य कार्यक्रमों के अलावा वे उत्तर प्रदेश में समग्र विकास मॉडल के तौर पर वंचित लड़कियों की शिक्षा के लिए फंडिंग कर रहे हैं.

रैना का कहना है कि ग्रेसिया रैना फाउंडेशन जागरूकता पैदा करने और उन माताओं और बच्चों के साथ मिलकर काम कर रहा है जिन्हें शारीरिक और मानसिक समस्याओं के लिए मदद की जरूरत होती है. परेशान महिलाओं को स्थायी आजीविका के अवसर भी प्रदान करता है.

रैना ने कहा कि ग्रेसिया रैना फाउंडेशन मॉडल किशोरों की सेहत पर अधिक जोर देता है क्योंकि फाउंडेशन 13- 19 साल के आयु वर्ग में किशोर शिक्षा और प्रजनन स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता में निवेश करने पर विश्वास रखता है. इससे कम उम्र में कुपोषण से बच्चों की मौत को रोकना आसान होगा. साथ ही  कम उम्र में गर्भावस्था और मातृ मृत्यु दर भी घटेगी.

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