बालाकोट एयर स्ट्राइक एनीवर्सरी पर अमित शाह ने कहा- हमारे जवानों की सुरक्षा सबसे पहले है, IAF के शौर्य को सलाम

नई दिल्ली
26 फरवरी 2019 भारतीय वायुसेना के जवानों ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर बालाकोट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के कैंपों को तबाह कर दिया था। बालाकोट एयर स्ट्राइक के आज दो साल पूरे हो गए हैं। भारत ने यह स्ट्राईक पाकिस्तान पर 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में हुए अटैक के बाद की थी। बता दें कि पुलवामा हमले में भारत के 40 जवान शहीद हुए थे और 70 से ज्यादा जवान जख्मी। आज के इस खास दिन पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वायुसेना के शौर्य को सलाम किया है।

 होम मिनिस्टर ने कहा कि 'साल 2019 में आज ही के दिन इंडियन एयरफोर्स ने पुलवामा आतंकी हमले का जवाब देकर नए भारत की आतंकवाद के विरुद्ध अपनी नीति को स्पष्ट किया कि हम ईंट का जवाब पत्थर से देते हैं, मैं पुलवामा के वीर शहीदों का स्मरण और वायु सेना की वीरता को सलाम करता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देश और हमारे जवानों की सुरक्षा सर्वोपरि हैं।' तो वहीं केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, 'बालाकोट एयर स्ट्राइक की सालगिरह पर, मैं भारतीय वायु सेना के असाधारण साहस और परिश्रम को सलाम करता हूं। हमें अपने सशस्त्र बलों पर गर्व है जो भारत को सुरक्षित और सुदृढ़ रखते हैं।'
 
भारतीय वायुसेना के मुताबिक 26 फरवरी को उनकी टीम ने पीओके में घुसकर एयर स्ट्राइक की थी । मिराज-2000 विमान रात के अंधेरे में नियंत्रण रेखा को पार कर पाकिस्तान के बालाकोट पहुंचे और वहां पर जैश-ए-मोहम्मद के शिविरों को तबाह कर दिया। इस बदले को एयर स्ट्राइक नाम से जाना जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक इस स्ट्राइक में 200 से ज्यादा आतंकी मारे गए थे।
 
हाल ही में भारतीय सेना ने पुलवामा हमले से जुड़ा 1.42 मिनट का एक वीडियो जारी किया था। इस आतंकी हमले को सुसाइड बम्बर आदिल अहमद डार ने अंजाम दिया था, जो सिर्फ 20 साल का था। 14 फरवरी 2019 को सीआरपीएफ का काफिला अपने जवानों को लेकर जम्मू से निकला लेकिन जब काफिला पुलवामा के लेथपोरा में पहुंचा तो वहां आतंकी आदिल ने अपनी कार को हाईवे किनारे खड़ा कर दिया। ये कार विस्फोटकों से भरी थी, जैसे ही सीआरपीएफ की बस उसके पास आई आतंकी ने उसमें ब्लास्ट कर दिया। जिसमें 40 जवान शहीद हो गए, जबकि 70 से ज्यादा घायल थे। ब्लास्ट इतना जोरदार था कि बस के परखच्चे उड़ गए। बड़ी मुश्किल से छत-विछत शवों को इकट्ठा किया गया। करीब 18 शहीदों के काफिन (ताबूत) खाली ही उनके घर भेजे गए थे, क्योंकि ब्लास्ट में जवानों का शरीर पूरी तरह से छत-विछत हो गया था।

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