ब्रेन ट्यूमर 3 से 8 साल के बच्‍चों के ल‍िए खतरनाक

एक रिसर्च के अनुसार भाग-दौड़ भरी जिंदगी में तनाव न सिर्फ वयस्कों में बल्कि बच्चों में भी पनपता जा रहा है। अक्सर हम बच्‍चों के सिरदर्द को नजरअंदाज कर खुद ही ईलाज शुरू कर देते है। अगर लगातार सिरदर्द ,धुंधला दिखाई देना जैसे लक्षण सामने आते है तो इसे नजरअंदाज न करें क्योंकि यह ब्रेन ट्यूमर जैसी जानलेवा बीमारी भी हो सकती है। कुछ समय पहले आए एक अध्ययन के मुताबिक देश में हर साल करीब 40,000 से 50,000 लोगों में ब्रेन ट्यूमर की पहचान होती है, जिनमें से 20 प्रतिशत बच्चे होते हैं। चिंता की बात यह है कि गत वर्ष यह आंकड़ा केवल पांच प्रतिशत ही ऊपर था। साथ ही, हर साल लगभग 2,500 भारतीय बच्चों में मेडुलोब्लास्टोमा रोग पाया जा रहा है।

मेड्युलोब्लास्टोमा एक ऐसा कैंसर ट्यूमर होता है, जिसे सरबेल्लर प्रिमिटिव न्यूरोएक्टोडर्मल ट्यूमर (पी.एन.ई.टी) के नाम से जाना जाता है, और इसकी शुरुआत मस्तिष्क क्षेत्र में खोपड़ी के आधार से होती है। इस क्षेत्र को पोस्टीरियर फोस्सा कहा जाता है। यह कैंसर धीरे-धीरे शरीर के दूसरे हिस्सों और स्पाइनल कॉर्ड तक भी फ़ैल जाता है।

मेड्युलोब्लास्टोमा ट्यूमर के लक्षण क्‍या होते है और कैसे इससे बचाव किया जा सकता है।

– मेड्युलोब्लास्टोमा, सबसे कॉमन सेंट्रल नर्वस सिस्टम एम्ब्रायोनल (सीएनएस) ट्यूमर है।
– आमतौर में ये ट्यूमर पीड़ित में बचपन से ही रहता है। 3 से 8 साल की उम्र में के बच्चों में ऐसे ट्यूमर का पाया जाना आम बात है।
– खासकर पुरुषों में इस ट्यूमर के होने का सबसे ज्यादा खतरा बना रहता है।

बच्‍चों में ही पाया जाता है ये ट्यूमर

मेडुलोब्लास्टोमा बच्चों में पाया जाने वाला एक घातक ब्रेन ट्यूमर है। यह मस्तिष्कमेरु द्रव (सीएसएफ) के माध्यम से फैलता है और दिमाग, रीढ़ की हड्डी की सतह से होता हुआ अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता है। कुछ बीमार बच्चे ठोकर खाकर गिर जाते हैं तो किसी-किसी को लकवा भी मार देता है। इसके अलावा कई मरीजों में चेहरा सुन्न होना, कमजोरी व चक्कर आने के लक्षण देखे जाते हैं। यदि उपचार प्रक्रिया का सही ढंग से पालन किया जाता है, तो इन मामलों में से लगभग 90 प्रतिशत का इलाज संभव

क्या हैं इसके लक्षण?

– इसमें अचानक सिरदर्द शुरू हो जाता है। खास तौर पर सुबह-सुबह होता है।
– मितली या उल्टी की भी शिकायत रहती है। इसके अलावा थकान महसूस होगी। पैर लड़खड़ाने लगेगा और चलने में दिक्कत होगी।
– इसके अलावा आंखों की पुतलियां असामान्य तरीके से घूमने लगेंगी। विजन भी क्लियर नहीं रहेगा।
इसके बचाव

मेडुलोब्लास्टोमा से पीड़ित बच्चों के लिए सिर्फ दवा ही जरूरी नहीं है, बल्कि बच्चे के पूरे शरीर की निगरानी जरूरी होती है। इसके उपचार का सबसे अच्छा तरीका सर्जरी ही है। कीमोथेरेपी आमतौर पर इलाज की योजना का एक हिस्सा होता है। व्यस्कों में मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी का रेडिएशन द्वारा इलाज का सुझाव दिया जाता है लेकिन केवल तीन साल से अधिक उम्र के बच्चों को ही रेडिएशन से इलाज का सुझाव दिया जाता है। अधिकांश बच्चों को इस बीमारी के इलाज के बाद पूरी उम्र डाक्टरों की निगरानी की जरूरत पड़ती है।

– रसायन और कीटनाशकों के जोखिम से बचें।
– फलों व सब्जियों का सेवन करें और नियमित रूप से व्यायाम करें।
– धूम्रपान और मदिरापान से दूर रहें।

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