कच्ची बस्ती से निकली प्रतिभा, सफाई कर्मी और मजदूर के बेटे पहुंचे IIT
रायपुर
कहते हैं कि सफल होने के लिए हुनर जरूरी है, सुविधाएं केवल लाचार बनाती हैं। इस वाक्य को शहर के होनहारों ने सही साबित किया है। रविवार को घोषित जेईई एडवांस के नतीजों कुछ ऐसे होनहार नगीने निकले हैं, जिनके नन्हे कदम कच्ची सड़क पर थे, लेकिन अब हवाई जहाज के रनवे की ओर दौड़ने वाले हैं।
बात हो रही है प्रयास संस्था के दो ऐसे सफल छात्रों की, जिनके पिता ने कभी कॉलेज का मुंह तक नहीं देखा। और तो और गांव की बस्ती और कच्ची मकान में पले-बढ़े राहुल कोवाटी और अरुण चौधरी अब देश के शीर्ष संस्थान आइआइटी में पढ़ने जा रहे हैं। एक के पिता सफाईकर्मी तो दूसरे के पिता मजदूरी कर जीवन व्यापन कर रहे हैं। नतीजों में शहर के अन्य होनहार भी आइआइटी में अपना परचम बुलंद करेंगे।
गजब के छात्रों की अजब कहानी
पिता मजदूर, बेटा बनेगा इंजीनियर
नाम– राहुल कोवाटी
पिता– नकछेड़ा राम कोवाटी
रैंक – 523 (कैटेगरी)
विद्यालय– प्रयास
प्रयास में पढ़ने वाले राहुल कांकेर के पास चारामा नक्सली आतंक के बीच से निकल प्रतिभा को बुलंदियां पर ले गए। पिता मजदूरी करते हैं, लेकिन राहुल को इस बात पर गर्व है, क्योंकि पिता सदैव कहते हैं कि मेरे जैसा मत बनना बेटा, तू खूब पढ़ो और आगे बढ़ो। मजदूर पिता का होनहार बेटा राहुल अब देश के शीर्ष संस्थान में पढ़ने जा रहा है।
बनाऊंगा ऐसा यंत्र की सफाइ की न पड़े जरूरत
नाम– अरुण चौधरी
पिता- राधेश्याम चौधरी
रैंक– 502 (कैटेगरी)
विद्यालय– प्रयास
राजधानी से करीब 400 किलोमीटर अंबिकापुर के पास सीतापुर गांव से आकर प्रयास में तैयारी कर रहे अरुण चौधरी का चयन आइआइटी में हुआ। अरुण ने बताया कि पिता राधेश्याम चौधरी सफाइकर्मी हैं। इसका उन्हें अफसोस नहीं। बस मैं ऐसी मशीन बनाना चाहता हूं कि हाथों से सफाई करने की जरूर ही न पड़े।