संघ की ही बात कही  पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 

नई दिल्ली। 
राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के मुखपत्र ऑर्गनाइजर और पांचजन्‍य ने नागपुर में पिछले दिनों संघ के एक कार्यक्रम में दिए गए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के भाषण को संघ की विचारधारा के अनुरूप बताया है। दोनों पत्रिकाओं ने इस बात पर जोर दिया है कि प्रणब मुखर्जी और आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत के भाषणों में कई तरह की समानताएं हैं। मुखर्जी ने अपने भाषण में देश की बहुलतावादी संस्कृति पर जोर दिया था। पत्रिकाओं का कहना है, ’यही बात तो पिछले कई वर्षों में आरएसएस प्रचारित करता रहा है और हिंदू धर्म भी इसी का प्रतीक है।’
पूर्व राष्ट्रपति ने उस कार्यक्रम में राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर अपने विचार रखे थे। उन्‍होंने कहा था- ’भारत दुनिया का पहला राज्य है और इसके संविधान में आस्था ही असली देशभक्ति है। विविधतता हमारी सबसे बड़ी ताकत है। हम विविधता में एकता को देखते हैं। हमारी सबकी एक ही पहचान है और वह है ’भारतीयता’।

एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार, ऑर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने अपने संपादकीय में कहा है कि प्रणब मुखर्जी के दौरे का असल संदेश ’राजनीतिक से ज्यादा राष्ट्रीय है।’ पॉन्चजन्य ने मुखर्जी के दौरे को उस बहुलता की जीत बताया है जिसे हिंदुत्व बढ़ावा देता है। जबकि इस्लाम और ईसाइयत यह मानते हैं कि उनका सच ही एकमात्र सच है।
पत्रिकाओं की कवर स्टोरी में कहा गया है, ’संघ उनसे यह उम्मीद नहीं करता कि वे उसकी ही भाषा बोलेंगे, लेकिन उन्होंने जो कुछ कहा उसकी संघ हमेशा वकालत करता रहा है। यह सब उन्होंने एक कांग्रेसी होने की सीमा के भीतर बोला है।

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