‘जस्टिस जोसेफ के मामले पर भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करनेवाले थे सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज’

नई दिल्ली 
जस्टिस के. एम. जोसेफ की फाइल सुप्रीम कोर्ट के पास लौटाने के केंद्र सरकार के निर्णय पर नाराजगी जताने वाले सुप्रीम कोर्ट कलीजियम के सदस्यों ने एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का मन बना लिया था। उच्च पदस्थ सूत्रों ने हमारे सहयोगी अखबार ET को बताया कि इस मामले में विचार-विमर्श के बाद हालांकि प्रेस कॉन्फ्रेंस न करते हुए जस्टिस जोसेफ से जुड़ी सिफारिश को दोहराने का निर्णय एकमत से किया गया। सरकार ने कलीजियम से कहा था कि जस्टिस जोसेफ को उत्तराखंड के चीफ जस्टिस के पद से प्रोन्नत कर सुप्रीम कोर्ट में जज बनाने की सलाह पर वह दोबारा विचार करे। 
 
ET को पता चला है कि सुप्रीम कोर्ट के जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करने का निर्णय इसलिए किया ताकि कोई और विवाद न हो और संस्था के हित में टकराव से बचा जा सके। ET ने जिन कानूनी जानकारों से बात की, उन्होंने कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करने से एक विवाद टल गया लेकिन SC कलीजियम से क्लियर किए जा चुके अपॉइंटमेंट्स में देर करने और उनमें रोड़े डालने से संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है। 

उन्होंने कहा, 'यह तो कानून और हमारे लोकतंत्र को धता बताने वाला कदम है। पहले तो सरकार जस्टिस जोसेफ से जुड़ी सिफारिश पर तीन महीनों तक बैठी रही और फिर उसने फाइल लौटा दी। इसी तरह डिस्ट्रिक्ट ऐंड सेशंस जज कृष्ण भट से जुड़ी सिफारिश को भी एकमत से दोहराया गया, फिर भी सरकार ने कुछ नहीं किया, जबकि दो मुख्य न्यायाधीशों सहित सुप्रीम कोर्ट के छह जजों ने उनका नाम क्लियर किया था। क्या जजों पर भी विश्वास नहीं है?' उन्होंने कहा, 'इस बारे में कानून बिल्कुल साफ है कि नाम दोहराए जाने पर सरकार को अपॉइंटमेंट क्लियर करना होता है।' 

हालांकि कानून मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि लॉ मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने कृष्ण भट के मामले में देश के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है। उन्होंने बताया कि मुख्य न्यायाधीश के जवाब का इंतजार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जस्टिस जोसेफ की फाइल भी हमें SC कलीजियम से नहीं मिली है। 

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