फुटबॉल मैच में ईरानी महिलाओं की स्टेडियम में एंट्री के समर्थन में पोस्टर
सेंट पीटर्सबर्ग
ईरान और मोरक्को के बीच शुक्रवार को फीफा विश्व कप का फुटबॉल मैच खेला गया. इसमें ईरान ने अजीज बोहादोज के आत्मघाती गोल के दम पर अपने पहले मैच में मोरक्को को 1.0 से हरा दिया. इस मैच के दौरान एक दिलचस्प नजारा देखने को मिला. सेंट पीटर्सबर्ग स्टेडियम में कई पोस्टर दिखे, जिन पर लिखा था कि ईरान की महिलाओं को स्टेडियम में प्रवेश को समर्थन करें.
यहां महिलाएं हाथों में पोस्टर लिए हुए थीं, जिस पर हिजाब की अनिवार्यता को लेकर ईरानी आदेश के खिलाफ और वहां महिलाओं के समर्थन में बातें लिखी हुईं थीं. बता दें कि ईरान में महिलाओं को स्टेडियम में पुरुषों के खेल के दौरान प्रवेश पर मनाही है. साथ ही वो इसे लेकर किसी प्रकार को विरोध प्रदर्शन भी नहीं कर सकतीं. लेकिन रूस के सेंट पीटर्सबर्ग स्डेडियम में फुटबॉल मैच के दौरान ईरान की महिलाओं के स्टेडियम में एंट्री के समर्थन में पोस्टर दिखे.
बता दें कि पिछले दो सालों में दो मशहूर भारतीय एथलीट हिजाब पहनने के आदेश को लेकर खेलने से मना कर चुके हैं. दरअसल, ईरान में महिलाओं को हिजाब पहनना अनिवार्य है. वहां इस नियम को लेकर किसी प्रकार की कोताही नहीं बरती जाती. असल में, पिछले नवंबर में एशियन कबड्डी चैंपियनशिप के दौरान थाईलैंड महिला टीम के पुरुष कोच को हिजाब पहनकर खेल के मैदान में जाना पड़ा था. ईरान के गोरगान में हुए इस चैंपियनशिप के मैच में भारत ने पाकिस्तान को हराकर खिताब पर कब्जा किया था. इस चैंपियनशिप के दौरान थाईलैंड टीम के कोच ने अपने पूरे चेहरे को ढक लिया था. जिसके बाद उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हो गईं थीं. दरअसल, ईरान में पुरुषों को महिलाओं के खेल के दौरान स्टेडियम में प्रवेश करने पर पाबंदी है. यही नहीं, 2016 में भारतीय शूटर हिना सिद्धू ईरान में हुए शूटिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था. क्योंकि वहां पर हिजाब पहनना अनिवार्य था.
नियम को चकमा देती रही हैं महिलाएं
ईरान में महिलाओं पर कई प्रकार के कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं. यहां वो स्टेडियम में फुटबॉल का मैच नहीं देख सकतीं. हालांकि, ईरान की महिलाएं मौके दर मौके वेश बदलकर स्टेडियम पहुंच जाती हैं. कई महिलाएं दाढ़ी-मूंछ और मेकअप के साथ स्टेडियम में प्रवेश पा जाती हैं ईरान महिलाओं पर स्टेडियम में कदम रखने पर लगी पाबंदी के पीछे का कारण वहां के माहौल को बताया गया है. तर्क ये है कि स्टेडियम के अंदर का माहौल महिलाओं के मुताबिक नहीं होता और सरकार व प्रशासन उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने में सक्षम नहीं है. इसलिए यह पाबंदी लगाई गई है.
ईरान में 1979 की क्रांति के बाद से ही यहां की महिलाओं पर कई तरह के कड़े प्रतिबंध लगाए दिए गए. हालांकि, हसन रूहानी के सत्ता में आने के बाद से कई बार ये आवाज उठी कि महिलाओं पर लगे प्रतिबंधों को हटाया जाना चाहिए, लेकिन कुछ हो न सका. बता दें कि ईरान की महिलाएं बिना बुर्का के सड़क पर नहीं चल सकतीं. साथ ही उन्हें पुरुषों के साथ सड़क पर चलने पर भी मनाही है. हालांकि, साल 2017 के अंत में ईरानी सरकार ने महिलाओं को बड़ी राहत दी और ड्रेस कोड का उल्लंघन करने पर उन्हें हिरासत में नहीं लेने का ऐलान किया.