चीन का करारा जवाब, अमेरिकी सामानों पर लगाया 25% का टैक्स

वाशिंगटन बीजिंग
दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध छिड़ने की आशंका बढ़ गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से सामानों के आयात पर 50 अरब डॉलर के सामान पर 25 प्रतिशत नए शुल्क को मंजूरी दी है जिसके जवाब में चीन ने भी उतनी ही राशी यानी 50 अरब डॉलर के 659 अमेरिकी वस्तुओं पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की है। 

ट्रम्प ने वाणिज्य मंत्री विल्बर रॉस, वित्त मंत्री स्टीवन न्यूचिन और व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर के साथ गुरुवार को 90 मिनट की बैठक के बाद इसे मंजूरी दी। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। अमेरिका ने कहा कि चीन पर लगाया गया शुल्क उस बात की प्रक्रिया है जिसे वह बौद्धिक संपदा की चोरी बताता आया है। अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि द्वारा इस संबंध में शीघ्र ही औपचारिक घोषणा किए जाने की संभावना है। आने वाले सप्ताह में इसे संघीय लेखा-जोखा में भी अधिसूचित किए जाने का अनुमान है।

ट्रम्प ने 50 अरब डॉलर के चीनी सामान पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा करते हुए कहा, 'व्यापार में अत्यधिक अनुचित स्थिति को अब और बदार्श्त नहीं किया जा सकता।' उन्होंने अपने बयान में कहा कि चीन से आयातित उत्पादों पर 25 प्रतिशत का शुल्क लागू होगा, जिसमें औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियां शामिल हैं। अमेरिका ने चीन पर 25 प्रतिशत टैक्स उसके 800 से अधिक उत्पादों पर लगाया है जो आगामी छह जुलाई से लागू होगा। इन उत्पादों में चीन के साथ अमरीका का सालाना व्यापार 34 अरब डॉलर का है। व्हाइट हाउस का कहना है कि बाक़ी 16 अरब डॉलर के उत्पादों पर टैक्स लगाने के बारे में परामर्श किया जाएगा।

ट्रंप की चेतावनी पर चीन का पलवार 
ट्रम्प ने चेतावनी दी है कि चीन ने यदि पलटवार किया तो अमरीका उस पर और अधिक टैक्स लगाएगा। पर चीन ने भी अमेरिका की चेतावनी की परवाह किये बगैर उसे उसी के अंदाज में जवाब दिया। बीजिंग से प्राप्त रिपोर्ट में सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ ने स्टेट काउंसिल के शुल्क आयोग के हवाले से शनिवार को बताया कि कृषि उत्पादों, ऑटो और जलीय सामान समेत अमेरिकी वस्तुओं पर 34 अरब डॉलर का शुल्क आगामी छह जुलाई से लगाया जाएगा। अन्य अमेरिकी सामानों पर लगाये जाने वाले शुल्क की घोषणा बाद में की जाएगी। चीन में स्टेट काउंसिल को कैबिनेट या सरकार का दर्जा हासिल है।

ट्रम्प ने हालांकि पहले ही कहा था कि यदि चीन उसकी कार्रवाई के जवाब में कोई कदम उठाता है तो आगे और भी कड़े कदम उठाए जायेंगे। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने बीजिंग में कहा, 'यदि अमेरिका एकपक्षीय संरक्षणवादी कदम उठाता है और चीन के हितों को नुकसान पहुंचाता है तो हम तत्काल प्रतिक्रिया देंगे। हम अपने वैधानिक अधिकारों एवं हितों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।' चीन ने पहले कहा था कि यदि अमेरिका ने 50 अरब डॉलर का शुल्क लगाया तो वह भी अमेरिकी उत्पादों जैसे कार, विमान एवं सोयाबीन पर 50 अरब डॉलर का शुल्क लगाएगा।

शिन्हुआ ने कहा, 'अमेरिकी निर्णय ने विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन किया है और यह चीन तथा अमेरिका के बीच हुए पिछले व्यापार वातार् में बनी आम सहमति के भी विपरीत है।' रिपोर्ट में कहा गया,'इसने चीन के वैध अधिकारों और हितों को भी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया है। साथ ही चीन और उसके लोगों के हितों को भी नुकसान पहुंचाया है।'

चीन पर शुल्क लगाना सही नहीं : अमेरिकी उद्योग
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चीन से आयातित 50 अरब डॉलर के उत्पादों पर 25 प्रतिशत शुल्क लागने के फैसले का अमेरिकी उद्योग ने शुक्रवार को विरोध किया। उसने कहा कि चीन पर शुल्क लगाना सही रवैया नहीं है।  अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष और सीईओ थॉमस जे डोनोह्यू ने कहा, चीन  की अनुचित व्यापारिक गतिविधियों के लिए उस पर लगाए गए शुल्क की कीमत अमेरिकी उपभोक्ताओं, विनिर्माताओं, किसानों और किसानों को चुकानी पड़ सकती है। चीन की व्यापार तथा निवेश नीतियों के कारण आ रही समस्याओं को दूर करने के तरीके के रूप में शुल्क के इस्तेमाल का चैंबर ऑफ कॉमर्स विरोध करता है। 

हालांकि विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने चीनी उत्पादों पर शुल्क का समर्थन किया है। सीनेटर चक शुमर ने कहा, चीन पर राष्ट्रपति की कार्रवाई पैसे के लिहाज से सही है। चीन हमारा असली व्यापारिक दुश्मन है, वह हमारी बौद्धिक संपदा की चोरी करता है तथा हमारी कंपनियों के साथ उचित प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति नहीं देता, जिसके कारण लाखों नौकरियों का नुकसान होता है। सीनेट की वित्त समिति के चेयरमैन ओरिन हैच ने कहा कि शुल्क से अमेरिकी एवं चीनी कंपनियों और उपभोक्ताओं दोनों को नुकसान होगा। दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को भी इसका जोखिम उठाना पड़ सकता है। जानकारों का यह भी कहना है कि शुल्क की वजह से अमेरिका में बने उत्पादों को दुनिया भर में बिक्री में दिक्कत होगी।

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