विश्व परिवार दिवस: भारत में हर रिश्ते पर रखे गए हैं गांवों के नाम पर मां के नाम पर कोई नहीं

 नई दिल्ली 
आज विश्व परिवार दिवस है। रोजी-रोटी के लिए घर से दूर रहने वाले लोगों के लिए कोरोना काल में परिवार की अहमियत बढ़ गई है। परिवार से आशय केवल पति, पत्नी और बच्चों से नहीं, बल्कि उस परिवार से है, जिसमें मां है, बाबू जी हैं, दादा हैं दादी हैं। चाचा हैं। चाची हैं। भइया हैं। भाभी हैं। नाना से जुड़ाव है और नानी की कहानी भी है। यही वजह है कि भारत में हर करीब-करीब हर रिश्ते के नाम पर गांव और कस्बें मिल जाएंगे पर दुनिया के सबसे पवित्र रिश्ते यानी माँ के नाम पर देश में कोई गांव या क़स्बा नहीं है। जबकि, बहन के नाम पर 8, पिता 6, मामा 3 और एक गांव मामी के नाम पर भी है।

दो सौ गांव-कस्बों के नाम के आगे या पीछे नाना या नानी
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि देशभर में सैकड़ों ऐसे गांव-कस्बे हैं, जहां से इन रिश्तों की खुशबू आती है। इनमे सबसे ज्यादा गांव-कस्बे नाना और नानी के नाम पर हैं। दो सौ गांव-कस्बों के नाम के आगे या पीछे नाना या नानी जुड़ा हुआ है। जितने नाना उतने नानी। जिस गुजरात में मोटा भाई सबसे ज्यादा बोला जाता है, वहां 91 गांव-कस्बे नानी और 82 नाना के नाम पर हैं । इसके बाद  हिमाचल प्रदेश में 4, राजस्थान में 2, उप्र और मप्र में एक-एक गांव नाना के नाम पर हैं । vlist.in पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक नानी के नाम पर हिमाचल प्रदेश में एक, राजस्थान में 6, मप्र में 4 गांव हैं, जबकि उप्र में एक भी  नहीं।

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