स्वस्थ शरीर, स्वस्थ मन और स्वस्थ वातावरण ही आनंद का आधारभूत तत्व- सुश्री ठाकुर

भोपाल

भारतीय सत्य सनातन वैदिक संस्कृति के अनुसार स्वस्थ शरीर, स्वस्थ मन और स्वस्थ वातावरण ही आनंद का आधारभूत तत्व है। अपना रहन-सहन, खान-पान, आचार-व्यवहार को शुद्ध, सात्विक और संस्कार युक्त रखने से सच्चे आनंद की प्राप्ति होगी। निःसंदेह इससे वातावरण भी शुद्धाधिशुद्ध बनते हुए बेहतर स्थितियों को प्राप्त करेंगा। यह बात संस्कृति, पर्यटन और आध्यात्म मंत्री सुश्री ठाकुर ने राज्य आनंद संस्थान द्वारा यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यूज टीम के सहयोग से 'आनंद का आधार, स्वस्थ मन, स्वस्थ शरीर, स्वस्थ वातावरण' विषय पर आयोजित ऑनलाइन वेबिनार में उद्बोधन के दौरान कही। राज्य आनंद संस्थान के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अखिलेश अर्गल सहित अन्य अधिकारी और देश के विभिन्न क्षेत्रों से बुद्धिजीवी वेबिनार से जुड़े रहें।

मंत्री सुश्री ठाकुर ने कहा कि एक पेड़ 10 डिग्री तापमान कम करता है और 10 हजार लीटर पानी अपने भीतर समाहित करता है। कोरोना महामारी से मुक्त होने का 'पर्यावरण शुद्धि' ही बेहतर माध्यम है। वातावरण शुद्ध होगा तो हम सब स्वस्थ होंगे, सुखी होंगे, निरोगी होंगे। मंत्री सुश्री ठाकुर ने संपूर्ण समाज से वृक्षारोपण करने और पर्यावरण की शुद्धि के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त के वक्त अग्निहोत्र की दो आहुतियाँ डालने का आह्वाहन किया। उन्होंने कहा कि अग्निहोत्र से उत्पन्न औषधि युक्त धुआँ पर्यावरण के प्रदूषण को समाप्त करेगा और बेहतर स्वास्थ्य की दिशा में हम सब को आगे लेकर जाएगा। सभी स्वस्थ रहे, सभी आनंदित रहे, क्योंकि स्वस्थ मस्तिष्क और स्वस्थ शरीर ही स्वस्थ वातावरण के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।

मुख्य उद्बोधन अतिथि डॉ. रजनीश अरोड़ा ने कहा कि मानव के जीवन का फैलाव चार आधारभूत क्षेत्रों में है। एक मानव स्वयं में, अपने परिवार में, अपने समाज में तथा संपूर्ण अस्तित्व में विस्तारित होकर आनंद पूर्वक जीवन जी सकता है। इसके लिए सर्वप्रथम मन का स्वस्थ होना आवश्यक है। स्वस्थ मन से आशय सही भाव विचार, सत्य का ज्ञान और प्रेम का भाव होना है। आनंद का दूसरा आधार स्वस्थ शरीर है। स्वस्थ शरीर से आशय बीमारियों, भय, चिंता का न होना है। तीसरा आधार स्वस्थ वातावरण है। स्वस्थ वातावरण से आशय स्वस्थ समृद्ध परिवार है, जिसमें परस्पर संबंधों में सही समझ व एक दूसरे की केयर करना शामिल है। स्वस्थ वातावरण के साथ चौथे आधार स्वस्थ समाज की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। इसमें न्याय व्यवस्था एवं सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय का भाव निहित है। यदि हम इन चारों आधारों को मजबूत करते हैं तो चारों तरफ आनंद व्याप्त हो सकता है।

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