भारत में भोग की नहीं त्याग की पूजा होती है : पवैया
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ग्वालियर
जीवन में बड़े उद्देश्य प्राप्त करने के लिये छोटे-छोटे उद्देश्यों का बलिदान करना पड़ता है। भारतीय संस्कृति में त्याग करने वाला वंदनीय होता है। इसीलिए भारत की धरती पर सदैव से भोग की नहीं त्याग की पूजा की जाती रही है। महाराणा प्रताप के चरित्र में यह सभी खूबियां समाई हुईं थीं। उक्त आशय के विचार उच्च शिक्षा एवं लोक सेवा प्रबंधन मंत्री श्री जयभान सिंह पवैया ने व्यक्त किए।
पवैया क्षत्रिय महासभा द्वारा शनिवार को यहाँ कुंजविहार कॉलोनी में आयोजित महाराणा प्रताप जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर महाराणा प्रताप भवन के द्वितीय तल का लोकार्पण किया। इस तल के निर्माण के लिये उच्च शिक्षा मंत्री श्री पवैया ने अपनी विधायक निधि से 5 लाख रूपए की राशि मुहैया कराई है। श्री पवैया ने महाराणा प्रताप की प्रतिमा के लिये 2 लाख रूपए मुहैया कराने की बात भी इस अवसर पर कही।
समारोह को संबोधित करते हुए श्री पवैया ने कहा कि यदि हम देश व समाज के लिए जीवन जीना चाहते हैं तो महाराणा प्रताप को आदर्श मानकर इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन पथ पर आगे बढ़ने के लिए अपना स्वाभिमान सदैव ऊँचा रखें और मन मस्तिष्क में हीन भावना नहीं पनपने दें। महाराणा प्रताप इन्हीं सब खूबियों की वजह से अमर हो गए।
कार्यक्रम में क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री श्री राजेन्द्र सिंह भदौरिया, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक भिण्ड के अध्यक्ष एवं क्षत्रिय महासभा के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष श्री के पी सिंह भदौरिया, क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष श्री बृजपाल सिंह तोमर तथा सर्वश्री भारत सिंह भदौरिया, प्रेम सिंह भदौरिया, जगराम कुशवाह, अभिमन्यु सेंगर एवं अन्य पदाधिकारियों ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए। पार्षद श्री जगराम कुशवाह ने महाराणा प्रताप भवन परिसर में एक नलकूप खनन के लिये सहयोग राशि देने की बात कही। कार्यक्रम का संचालन श्री सुभाष सिंह चौहान ने किया।