रामदेव विवाद:  ये राजनीति का सवाल नहीं है, हमारी लड़ाई विज्ञान के लिए है: आईएमए

नई दिल्ली
एलोपैथी बनाम आर्युवेद का विवाद बढ़ता ही जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर देश में राजनीतिकरण भी शुरू हो गई है। एलोपैथी पर दिए गए बयान की वजह से योगगुरु बाबा रामदेव चर्चाओं में है। केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री हर्षवर्धन के पत्र लिखने के बाद बाबा रामदेव ने भले ही अपने बयान पर माफी मांग ली है लेकिन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) और उनके बीच मनमुटाव जारी है। बाबा रामदेव का कहना है कि वह न तो एलोपैथी के खिलाफ और न ही डॉक्‍टरों के। उनकी लड़ाई ड्रग माफियाओं से है, जो 2 रुपये की दवा 10 हजार में बेचते हैं। आईएमए का कहना है कि रामदेव ने एलोपैथी को एक "बेवकूफ" और "दिवालिया" विज्ञान कहा था, दावा किया था कि वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बावजूद 10,000 डॉक्टरों की मौत हो गई थी, और कोविड -19 के एलोपैथिक उपचार के कारण लाखों लोग मारे गए थे, ये लोगों में भ्रम पैदा करने वाला बयान है। इस बीच आईएमए ने इस मुद्दे पर हो रहे राजनीतिकरण को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
 
रिपोर्ट के मुताबिक, आईएमए सदस्यों ने रेखांकित किया कि उनके रुख का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। आईएमए ने साफ किया है कि इस मामले का राजनीति या कांग्रेस और बीजेपी से कोई लेना-देना नहीं है, ये एक विज्ञान की लड़ाई है। आईएमए के पूर्व अध्यक्ष डॉ रवि वानखेड़कर ने कहा है, ''आईएमए इस महामारी में फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में काम करने वाले लाखों डॉक्टरों-नर्सों की सामूहिक चेतना का प्रतिनिधित्व करता है। सदस्य कभी किसी पार्टी के खिलाफ नहीं रहे, हम सभी का सम्मान करते हैं। आईएमए ने रामदेव के बयानों पर आपत्ति का कारण उनके टीकाकरण विरोधी बयानों की वजह से था।''
 
उन्होंने कहा, आईएमए ने यूपीए सरकार के एक अल्पकालिक बैचलर ऑफ रूरल मेडिसिन एंड सर्जरी कोर्स शुरू करने के कदम का भी विरोध किया था, जिससे उनको अपना फैसला वापल लेना पड़ा था। यह भाजपा या कांग्रेस सरकारों का सवाल नहीं है। हमारी लड़ाई हमेशा अतार्किक और अवैज्ञानिक नीतियों के खिलाफ रही है।

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