अश्लीलता और खूबसूरती देखने वालों की आंखों में होती है: HC

नई दिल्ली 
मलयायम मैगजीन ‘गृहलक्ष्मी’ के खिलाफ दायर एक याचिका को केरल हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। दरअसल, बीते मार्च मैगजीन के कवर पेज पर एक महिला की अपने नवजात बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग यानी स्तनपान कराती तस्वीर छपी थी। इस तस्वीर में मॉडल, राइटर और एयरहोस्टेस गिलु जोसेफ एक नवजात को दूध पिलाती दिख रही हैं।  
कवर पर ब्रेस्टफीडिंग के दौरान घूरने वालों को दिए गए संदेश में कहा गया था, ‘केरल से माएं कह रही हैं, कृपया घूरें नहीं, हमें ब्रेस्टफीड की जरूरत है।’ मैगजीन छपने के एक हफ्ते बाद ही सोशल मीडिया पर विवाद शुरू हो गया था। इस तस्वीर को कामुक कहने के साथ ही धार्मिक और सांप्रदायिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला कहा गया और केरल के कोल्लम सीजेएम कोर्ट में इसके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। 

मैगजीन के खिलाफ पोक्सो के साथ ही जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट के सेक्शन 45 और महिला अश्लील प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1986 के तहत मामला दर्ज किया गया था। गुरुवार को कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा, ‘जिस तरह खूबसूरती देखने वालों की आंखों में होती है, उसी तरह अश्लीलता भी देखने वालों की आंखों में ही होती है। हमें नहीं लगता है कि इस फोटो में कुछ अश्लील है और न ही इसके कैप्शन में पुरुषों के लिए कुछ आपत्तिजनक है।’ 

अजंता की मूर्तियों का किया जिक्र 
चीफ जस्टिस एंटोनी डोमिनिक और जस्टिस डामा सेशाद्री नायडू की बेंच ने कहा कि भारतीय कला ने हमेशा मनुष्य के शरीर को खूबसूरती से दर्शाया है, चाहे वह कामसूत्र हो, राजा रवि वर्मा की पेंटिंग हो या अजंता की मूर्तियां। बेंच ने यह भी कहा कि पहले जमाने के लोग ज्यादा समझदार थे। गौरतलब है कि याचिका दायर करने वाले वकील विनोद मैथ्यू विल्सन का कहना था कि यह तस्वीर बेहद कामुक है और महिला की गरिमा को नीचा दिखाती है। मैगजीन के कवर पेज का विरोध करने वालों की आपत्ति इस बात को लेकर भी है कि तस्वीर में जोसेफ ने मंगलसूत्र और सिंदूर धारण किया है, जबकि वह ईसाई हैं। 
 

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