मोबाइल नंबर पोर्टबिलिटी जल्द बंद हो सकती है ?

अगले साल मार्च के बाद अपने मोबाइल नंबर को पोर्ट करने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। अभी मोबाइल नंबर पोर्टिबिलिटी आसानी से कराई जा सकती है। भारत में पोर्टबिलिटी की सर्विस देने वाली कंपनियां एमएनपी इंटरकनेक्शन टेलिकॉम सॉल्यूशंस और सिनिवर्स टेक्नॉलजीस ने डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्यूनिकेशन को बताया है कि जनवरी से पोर्टिंग फी में 80 पर्सेंट तक की कमी आई है जिसके कारण कंपनियों को भारी घाटा हो रहा है और वे अपनी सर्विस बंद कर सकती हैं। इन दोनों कंपनियों का लाइसेंस मार्च 2019 में खत्म हो रहा है।

अगर इन कंपनियों की यह मुश्किल बरकरार रहती है तो खराब कॉल क्वॉलिटी, बिलिंग से जुड़ी परेशानियों या टैरिफ से परेशान रहने वाले कस्टमर्स अपना सर्विस प्रोवाइडर पुराना नंबर रखते हुए नहीं बदल सकेंगे। डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्यूनिकेशन के एक अधिकारी ने बताया कि अगर मामला नहीं सुलझता है तो किन्हीं और कंपनियों को इस काम का लाइसेंस दिया जा सकता है। हाल के दिनों में पोर्टबिलिटी की रिक्वेस्ट में 3 गुना इजाफा हुआ है। यह इजाफा रिलायंस कम्यूनिकेशन के बंद होने और रिलायंस जियो इन्फोकॉम के आने से भी हुआ है।

इसके अलावा हाल के दिनों में टाटा टेलिसर्विस, एयरसेल, टेलिनॉर इंडिया ने भी अपनी सर्विस बंद कर दी हैं जबकि एयरटेल, वोडाफोन इंडिया और आइडिया सेल्युलर ने अपने टैरिफ में खासी कटौती की है जिसके कारण बड़ी संख्या में कस्टमर्स अपना नंबर पोर्ट कराना चाहते हैं। इससे पहले एमएनपी इंटरकनेक्शंस ने दक्षिण और पूर्वी भारत में अपनी सेवाओं का लाइसेंस सरेंडर कर दिया है जबकि उत्तर और पश्चिम भारत में सर्विस देने वाले सिनिवर्स टेक्नॉलजीस ने डिपार्टमेंट को बताया है कि वह भारी वित्तीय घाटा झेल रही है। ऐसा इसलिए भी हुआ है क्योंकि टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) ने ने पोर्ट करने के चार्ज को 19 रुपये से घटाकर 4 रुपये कर दिया है।

इन कंपनियों ने ट्राई के इस ऑर्डर के खिलाफ कोर्ट का रुख भी किया है जिसकी अगली सुनवाई 4 जुलाई को होनी है। दोनों कंपनियों के पास इस साल मार्च महीने तक 370 मिलियन नंबर पोर्टबिलिटी की रिक्वेस्ट आ चुकी हैं जबकि पिछले महीने में ही अकेले कंपनियों को नंबर पोर्टबिलिटी की 2 करोड़ रिक्वेस्ट मिली हैं। डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्यूनिकेशन के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार चाहती है कि कंपनियों की परेशानी की जल्द सुनवाई हो। अगर ऐसा नहीं होता है तो सरकार इस काम के लिए नए टेंडर जारी कर सकती है।

 

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