दिल्ली की चिट्ठी के बावजूद अपने कोरोना नियम बदलने को तैयार नहीं उद्धव सरकार, केंद्र से बढ़ेगी तकरार!

नई दिल्ली
केंद्र सरकार और महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार अब कोविड-19 से जुड़े नियमों को लेकर आमने-सामने आ गये हैं। महाराष्ट्र के मुख्य सचिव देबाशीष चक्रवर्ती ने मीडिया से बातचीत में कहा है कि राज्य अपने गाइडलाइंस में बदलाव नहीं करेगा। राज्य के अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी किये गये नियमों में कोई बदलाव नहीं होगा अगर आगे इसकी जरुरत पड़ी तो यह बदलाव किये जा सकते हैं। देबाशीष चक्रव्रती ने कहा कि आपदा प्रबंधन और महामारी एक्ट के तहत राज्य सरकार को यह ताकत हासिल है कि वो वायरस को फैलने से रोकने के लिए अतिरिक्त नियम लागू कर सके। इसीलिए राज्य सरकार ने फिलहाल अंतरराष्ट्रीय पैसेंजर्स को लेकर अपनी गाइडलाइंस में किसी तरह का बदलाव नहीं करने का फैसला किया है। महाराष्ट्र के मुख्य सचिव ने कहा कि केंद्र सरकार की तरह से सलाह जारी की गई है, इसे लेकर कोई बाध्यता नहीं है।

इससे पहले कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन स्वरूप पर चिंताओं के मद्देनजर महाराष्ट्र सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के पृथक-वास पर संशोधित दिशानिर्देश के बाद केंद्र ने बुधवार को राज्य सरकार से कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी एसओपी के मुताबिक अपने आदेश जारी करे। महाराष्ट्र के राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की तरफ से मंगलवार रात जारी दिशानिर्देशों के तहत राज्य सरकार ने 'खतरे' वाले देशों से आने वाले यात्रियों के लिए सात दिनों तक संस्थागत पृथक-वास आवश्यक बनाया है।
      
इस तरह के यात्रियों को पहुंचने के दूसरे, चौथे और सातवें दिन पीसीआर जांच भी करानी होगी। अगर वे कोविड-19 से संक्रमित पाए जाते हैं तो यात्री को अस्पताल भेज दिया जाएगा। अगर यात्री नेगेटिव पाया जाता है फिर भी उसे सात दिनों तक घर में क्वारंटीन में रहना होगा।
      
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने एक पत्र में कहा कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी आदेश केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा विदेशी यात्रियों के लिए जारी कोविड-19 एसओपी और दिशानिर्देशों के अनुसार नहीं है। उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रदीप कुमार व्यास को लिखे पत्र में कहा, ''इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं कि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार आदेश पारित करें ताकि सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में दिशानिर्देशों को समान रूप से लागू किया जा सके।''

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