…तो जरूरी नहीं जिले में SP बनने के लिए IPS होना

भोपाल
यदि राज्य पुलिस सेवा संगठन की मांग मान ली गई तो जिलों में पुलिस अधीक्षक और बटालियनों में कमांडेंट बनाए जाने के लिए आईपीएस अवार्ड होना जरूरी नहीं होगा। दरअसल देश के चार प्रांतों में यह व्यवस्था लागू है। प्रदेश में यह व्यवस्था नहीं हैं। हालांकि कई बार शासन ने राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को जिलों की कमान दी है, लेकिन ये कमान उन अफसरों को दी गई है जो 6 महीने के भीतर ही आईपीएस अवार्ड हो गए। जानकारी के अनुसार राज्य पुलिस सेवा के अफसरों ने एक मांग पत्र शासन तक पहुंचाया है। इस पत्र में उन्होंने मांग की है कि प्रदेश में राज्य पुलिस सेवा के अफसरों को नौकरी के 26 साल बाद आईपीएस अवार्ड हो रहा है, ऐसे में राज्य पुलिस सेवा के सबसे सीनियर कुछ अफसरों को जिलों और बटालियनों की कमान सौंपी जाए। इसके लिए बताया गया है कि यह व्यवस्था कई राज्यों में हैं।

इनको बनाया जाए एसपी
अभी राज्य पुलिस सेवा के अफसर चार श्रेणी में हैं। जिनमें  कनिष्ठ श्रेणी, वरिष्ठ श्रेणी, प्रवर श्रेणी और वरिष्ठ प्रवर श्रेणी हैं। राज्य पुलिस सेवा संगठन की पिछले कई सालों से मांग है कि इन अब चार की जगह पांच श्रेणी में अफसरों को किया जाए। सबसे सीनियर अफसरों को  सुपर सीनियर सिलेक्शन ग्रेड दिए जाने की मांग हैं। इसमें 32  सबसे सीनियर अफसरों को रखा जाए। इन्हीं अफसरों को जिलों और बटालियनों की कमान भी दी जाए।

वर्तमान में इन राज्यों में बना दिए जाते हैं एसपी
इस मांग के पीछे असम, उड़ीसा, पंजाब और जम्मू-कश्मीर राज्य का हवाला दिया गया है। इन चारों राज्यों में राज्य पुलिस सेवा के सबसे सीनियर अफसरों को पुलिस अधीक्षक और बटालियन में कमांडेंट बनाया जाता है। पंजाब में तो राज्य पुलिस सेवा के अफसर आईजी तक बनाए जाते हैं। वहीं जम्मू-कश्मीर में डीआईजी तक बनाए जा रहे हैं। इसलिए प्रदेश में भी यह व्यवस्था लागू की जाए।

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