कर्नाटक: इन पांच वजहों से किसान कर्जमाफी के वादे पर कायम हैं सीएम कुमारस्‍वामी

बेंगलुरु 
कर्नाटक में सत्‍ता संभालने के बाद मुख्‍यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्‍वामी की किसान कर्जमाफी योजना भले ही आर्थिक रूप से न्‍यायोचित नहीं हो लेकिन राजनीतिक रूप से यह बेहद चतुराई भरा कदम है। इसलिए हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में राज्‍य में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने कर्जमाफी का वादा करके किसानों के लुभाने में लगी हुई थीं ताकि उनके वोटों को अपने पाले में लाया जा सके। 

कांग्रेस नेता सिद्धारमैया के नेतृत्‍व वाली सरकार ने सहकारी बैंकों से लिया गया 50 हजार रुपये तक का लोन माफ करने की योजना पेश की थी जबकि बीजेपी ने वादा किया था कि अनुसूचित और व्‍यवसायिक बैंकों से लिया गया 1 लाख रुपये तक का कर्ज माफ होगा। इससे इतर जेडीएस ने कांग्रेस और बीजेपी को पीछे छोड़ते हुए वादा किया लोन लेने की सीमा को हटाया जाएगा और 53 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ होगा। 

जेडीएस को लग रहा है कि लोन माफ करने का वादा आसान था लेकिन उसे पूरा करना बेहद मुश्किल है। इसके बाद भी सीएम कुमारस्‍वामी अपने वादे पर टिके हुए हैं। आइए जानते हैं कि सीएम के अपने वादे पर टिके रहने की क्‍या वजहें हैं- 

किसानों की पार्टी 
जेडीएस खुद को किसानों की पार्टी के रूप में पेश करती है। चुनाव के दौरान कांग्रेस और बीजेपी के दबाव में आकर उसने किसानों से इतना बड़ा वादा तो कर दिया लेकिन अब इसे पूरा करने में उसे मुश्किल हो रही है। बता दें कि पार्टी का केवल दक्षिण कर्नाटक में जनाधार है लेकिन कर्जमाफी की घोषणा करने अन्‍य जगहों से वोट पाना चाहती थी। 

लिंगायत वोटों पर नजर 
वोक्‍कालिगा पार्टी कहे जाने वाली जेडीएस कर्जमाफी के जरिए अपना समर्थन आधार बढ़ाना चाहती है। उसकी नजर लिंगायत वोटों पर है जो कुल आबादी का 18 प्रतिशत हैं। कुमारस्‍वामी के मुताबिक उत्‍तरी कर्नाटक के किसान कर्जमाफी से सबसे ज्‍यादा लाभान्वित होंगे। यह इलाका लिंगायत बहुल है। 

कई साल से सूखा 
लगातार कई साल से सूखा पड़ने के कारण किसान कर्जमाफी एक प्रमुख मुद्दा रहा है। इसके अलावा पिछले खरीफ सीजन में असामयिक बारिश हो गई थी। इसकी वजह से कई किसानों ने आत्‍महत्‍या कर लिया था। इसलिए कोई भी दल किसानों के मुद्दे को नकार नहीं सकता है। 

कर्जमाफी ट्रंप कार्ड 
कांग्रेस नेताओं का विश्‍वास है कि वर्ष 2008 में यूपीए की सत्‍ता में वापसी किसान कर्जमाफी की वजह से हुई थी। मनमोहन सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले किसानों को 60 हजार करोड़ का पैकेज दिया था। इसकी वजह से यूपी समेत कई राज्‍यों किसानों के कर्ज माफ किए गए। 

वित्‍तमंत्री के रूप में प्रतिष्‍ठा दांव पर 
कुमारस्‍वामी पहली बार वित्‍तमंत्री का पदभार संभाल रहे हैं। वह इस बात को साबित करना चाहते हैं कि सूझबूझ के साथ वह राज्‍य की आर्थिक सेहत को बिगाडे़ बिना किसान कर्जमाफी के वादे को पूरा कर सकते हैं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button