चंबल नदी के रेत का अवैध खनन खुलेआम,भारी मशीनरी व हजारों ट्रैक्टर ट्रालियों शामिल

मुरैना
 मुरैना जिले में चंबल नदी के रेत का अवैध खनन खुलेआम किया जा रहा है। यह खनन प्रशासन की नाक के नीचे किया जा रहा हैं, मगर इस पर प्रशासन की कोई कार्रवाई नहीं कर रहा हैं। आइये हम आपको दिखते है कि किस तरह नदी के किनारे पर रखकर जेसीबी मशीन और हाइड्रा मशीन से चंबल का सीना छलनी किया जा रहा है। हजारों की संख्या में ट्रेक्टर ट्रालियों द्वारा रेत का अवैध खनन किया जा रहा है। यह खनन राजघाट के नए पुल के नीचे किया जा रहा है, सुबह से माफिया की जेसेबी हजारों ट्रालियों रेत भरने के लिए वहां लग जाती हैं। यह सिलसिला देर शाम तक ऐसे ही चलता रहता है। सबसे बड़ी बात ये है कि चंबल में अवैध रेत के उत्खनन के पास ही पर्यटक आ रहे हैं। इन पर्यटकों के सामने रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है। जिला, पुलिस व वन विभाग के अधिकारी अपने परिवार के साथ चंबल घूम रहे हैं। उनके सामने अवैध रेत भरा जा रहा है और रेत से भरी ट्रेक्टर ट्रालियां धड़धड़ाती गुजर रही हैं। लेकिन किसी भी अधिकारी की क्या मजाल की उनको कोई रोक सके।

हम आपको बता दें कि चंबल रेत के अवैध खनन को रोकने के लिए जिले के वन विभाग को 200 से अधिक एसएएफ जवानों की कंपनी दी जा चुकी है। लेकिन विभाग ने इस कंपनी के जवानों को इधर-उधर ड्यूटी पर लगाकर रखा है। जबकि इन जवानों का काम राजघाट पर हो रहे अवैध खनन को रोकना है।

अगर वहीं पुलिस प्रशासन की बात करें तो अवैध रेत के भरे ट्रेक्टर ट्रॉली राजघाट से चंद कदम दूर अल्लाबेली पुलिस चौकी के सामने से धड़ल्ले से गुजर रहे हैं। पुलिस चाहे तो इनको रोक कर उन्हें जब्त कर सकती है, लेकिन पुलिस जोखिम उठाने को तैयार नहीं हैं। इन मशीनों से हजारों की संख्या में लाइनों में लगे ट्रेक्टरों में रेत भरा जाता है। उसके बाद यह ट्रेक्टर मुरैना व अन्य जिलों के लिए नेशनल हाईवे से होकर निकल जाते हैं। यह भी बताया जा रहा है कि चंबल के राजघाट पुल से खनन होने वाले लगभग 70 प्रतिशत रेत की सप्लाई राजस्थान के धौलपुर में होती है बाँकी 30 प्रतिशत रेत मुरैना व ग्वालियर में खपाया जा रहा है।

 

 

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