सकारात्मक सोच से मिली मरीज को नई जिंदगी

 नई दिल्ली

दवा के अलावा जीने की चाह, सकारात्मक सोच और अपने डॉक्टर पर विश्वास किसी भी गंभीर बीमारी से जल्दी ठीक होने के लिए बेहद जरूरी है। कई बार ये बातें मेडिकल विज्ञान में चमत्कार की वजह भी बन जाती हैं। एम्स की रुमेटोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉक्टर उमा कुमार ने ये बातें ट्विटर अकाउंट पर लिखी। उन्होंने यह एक ऐसे मरीज के बारे में जानकारी देते हुए लिखी जो 12 वर्ष से गंभीर ऑटोइम्यून बीमारी ल्यूपस से पीड़ित थी और मेडिकल साइंस के हिसाब से डॉक्टरों के उसके ठीक होने की उम्मीद बेहद कम थी। लेकिन वह अब ठीक हैं। हरियाणा की रहने वाली 27 वर्षीय अंकिता (बदला नाम) ऑटो इम्यून बीमारी ल्यूपस से पीड़ित थी। ल्यूपस की वजह से फेफड़े सबसे अधिक प्रभावित हुए। वह इतनी बीमार हो गई थी कि उसे महीनों तक वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी। डॉक्टरों ने उसकी ट्रेकियोस्टोमी की ताकि लंबे समय वेंटिलेटर पर रखा जाए। कुछ समय बाद घर पर ही वेंटिलेटर की व्यवस्था कर दी गई।

पेपर मंगवाकर लिखा, मैं ठीक हो जाउंगी
एम्स की डॉक्टर उमा ने बताया कि एक बार इलाज के दौरान अंकिता ने उनका हाथ पकड़ा और इशारा किया कि वह कुछ लिखकर बोलना चाहती है। वह बेहद कमजोर और बीमार होने के बाद भले ही बोल न पाती हो, लेकिन उन्होंने पेन और पेपर मंगवाया और लिखा कि डॉक्टर देखना मैं बिल्कुल ठीक हो जाऊंगी। उनकी सकारात्मक सोच और जीने की चाह ने कमाल कर दिया। वह ठीक हो गई और अब वेंटिलेटर की जरूरत नहीं है।

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