25 मिनट हुई LG से केजरीवाल की मुलाकात, क्या कम होगा टकराव?

नई दिल्ली
अरविंद केजरीवाल दिल्ली के उप-राज्यपाल (LG) अनिल बैजल के घर उनसे मिलने पहुंचे. दोनों के बीच तकरीबन 25 मिनट तक मुलाकात हुई है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोनों की ये पहली मुलाकात थी. उनके साथ उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी वहां पहुंचे. सीएम ने गुरुवार को ही पत्र लिखकर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करवाएं. दिल्ली सरकार का कहना है कि जमीन, पुलिस और कानून व्यवस्था के अलावा बाकी विभागों पर फैसला लेने का अधिकार अब सिर्फ दिल्ली सरकार को है.

इस बीच, तबादला-तैनाती के केजरीवाल सरकार के आदेश को लेकर एक बार फिर आम आदमी पार्टी (आप) सरकार और नौकरशाहों के रिश्तों में तनाव की स्थिति देखने को मिली है. दिल्ली सीएम के साथ मुलाकात से पहले उपराज्यपाल ने गृह मंत्रालय से सलाह मांगी है, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की बेंच के द्वारा दिए गए आदेश को पूरी तरह से स्पष्ट करने को कहा है.
आपको बता दें कि अभी हाल ही में केजरीवाल और मनीष सिसोदिया एलजी से मिलने उनके घर धरने पर बैठ गए थे, लेकिन मुलाकात नहीं हो सकी थी. केजरीवाल ने अधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने तबादले और तैनाती से जुड़े दिल्ली सरकार के आदेश नहीं माने तो उन्हें ‘‘गंभीर परिणाम’’ भुगतने होंगे.

एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली सरकार आदेश का पालन करने से इनकार करने वाले अधिकारियों के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने सहित अन्य कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है. दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच सत्ता के वर्चस्व की लड़ाई पर उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद मुख्यमंत्री और एलजी की यह पहली मुलाकात होगी. केजरीवाल ने एलजी बैजल को पत्र लिखकर कहा कि ‘सेवा’ से जुड़े मामले मंत्रिपरिषद के पास हैं. केजरीवाल ने यह पत्र तब लिखा जब अधिकारियों ने तबादला और तैनाती के अधिकार एलजी से लेने के ‘आप’ सरकार के आदेश को मानने से इनकार कर दिया.

उच्चतम न्यायालय की संविधान पीठ के उस फैसले के बाद केजरीवाल ने यह पत्र लिखा जिसमें एलजी के अधिकारों में खासा कटौती की गई है. बैजल को लिखे गए पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा कि अब किसी भी मामले में एलजी की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी. उन्होंने कहा कि सभी पक्षों को उच्चतम न्यायालय का आदेश अक्षरश: लागू कराने की दिशा में काम करने की जरूरत है.

दरअसल, उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के कुछ ही घंटे बाद दिल्ली सरकार ने नौकरशाहों के तबादले और तैनाती के लिए एक नई व्यवस्था शुरू की जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मंजूरी देने वाला प्राधिकारी बताया गया. बहरहाल, सेवा विभाग ने इस आदेश का पालन करने से इनकार करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की 21 मई 2015 की वह अधिसूचना निरस्त नहीं की जिसके अनुसार सेवा से जुड़े मामले उप-राज्यपाल के पास रखे गए हैं.

क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और उपराज्यपाल के बीच काफी लंबे समय से चल रही जंग के बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उपराज्यपाल दिल्ली में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, एलजी को कैबिनेट की सलाह के अनुसार ही काम करना होगा. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना मुमकिन नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ है कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार ही राज्य को चलाने के लिए जिम्मेदार है. फैसले के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्वीट कर खुशी जता दी है, उन्होंने कहा है कि दिल्ली में लोकतंत्र की जीत हुई है. आम आदमी पार्टी लगातार आरोप लगाती रही है कि केंद्र की मोदी सरकार एलजी के जरिए अपना एजेंडा आगे बढ़ा रही है और राज्य सरकार को काम नहीं करने दे रही है. 
 

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