फेसबुक की बुरी लत से बच्चों और किशोरों को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी

अगर बात की जाए सोशल मीडिया की तो हम देखेंगे कि सोशल मीडिया में छलावे या धोकेबाजी की काफी मजबूत पकड़ हो गई है। जिसका सीधा असर हमारी यंग जनरेशन या युवाओं पर सबसे जल्दी पड़ता है और युवा पीढ़ी उसकी तरफ आकर्षित होती चली जा रही है। इसी कड़ी को लेकर इंग्लैंड के एक शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी ने फेसबुक जैसे सोशल मीडिया कंपनियों से गलत आदतों और खतरनाक कंटेंट से बच्चों को दूर रखने और बचाएं रखने पर काम करने के लिए कहा है, जो काफी जरूरी है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी साइमन स्टीवंस ने बताया कि यह एक उभरता हुआ सबूत है कि अर्ध-नशे की लत और मनोरंजन के लिए देखे जाने वाले ऑनलाइन गतिविधियों का सीधा असर हमारे किशोरों और युवा लोगों के मानसिक स्वास्थ्य दबाव डालता है। रविवार को दी गई रिपोर्ट में स्टीवंस ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के मामले में हमें सिर्फ इलाज के बारे में नहीं सोचना चाहिए बल्कि हमें इसे पूरी तरह से रोकने पर भी ध्यान देना चाहिए।

जबकि एनएचएस पहले से ही मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करके लोगों की मदद कर रहा है।उन्होंने कहा कि माता-पिता या पेरेंट्स अपने युवा बच्चों की सिर्फ गंभीर या कपटपूर्ण गतिविधियों को ही पकड़ पाते हैं, जिसका मानसिक तौर पर बुरा असर उन युवा बच्चों पर पड़ सकता है। सोशल मीडिया की इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए इंग्लैंड की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं का नेतृत्व करने वाली संस्था एनएचएस अपनी मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने की योजना बना रहा है।

युवाओं की रक्षा के लिए समाज को और आगे जाने की जरूरत है। "कंपनियों की यह ज़िम्मेदारी है कि वे ना सिर्फ बच्चों के लिए उचित सुरक्षा स्थापित करें बल्कि मुद्दों पर हमारी समझ को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करें। बता दें, इस साल की शुरुआत में ही स्वास्थ्य सचिव ने इंग्लैंड के मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रोफेसर डेम सैली डेविस से बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रौद्योगिकी के प्रभाव की जांच करने और स्क्रीन के स्वस्थ मात्रा के बारे में विचार करके एक समीक्षा करने के लिए कहा।

पिछले हफ्ते बीबीसी पैनोरमा कार्यक्रम में,फेसबुक के किसी वरिष्ठ सूत्रों ने स्वीकार किया कि फेसबुक में कुछ विशेषताओं या किसी भी तरह के कंटेंट के द्वारा देने वालों के लिए मंच पर लगाए रखने के लिए डिज़ाइन किया गया था जो बच्चों और किशोरों को नुकसान पहुंचा सकता है और जिसका सीधा असर उनकी मानसिकता पर पड़ सकता है। स्टीवंस ने कहा कि यह काफी जरूरी है कि बच्चों को वेब एक्सपोजर से जुड़े कुछ नुकसान से बचाने के लिए उपाय किए जाएं।

इसके साथ-साथ समाज के सभी बच्चों और किशोरों के माता-पिता या अभिभावकों को भी यह ध्यान देने की जरूरत है कि उनके बच्चे सोशल मीडिया पर क्या एक्टिविटी कर रहे हैं। उनके सामने किस तरह के कंटेंट आ रहे हैं, कहीं वो आदी तो नहीं हो रहे हैं। इन सभी बातों के ऊपर अभिभावक को नजर रखना जरूरी है ताकि बच्चों और किशोरों को इस मानसिक परेशानी से बचाया जा सके।

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