पैसा तो बहुत है, अब प्यार मांगता है ये दिल: तमन्ना भाटिया

इस वीक कई नैशनल अवॉर्ड जीत चुके मधुर भंडारकर पहली बार तमन्ना भाटिया के साथ ‘बबली बाउंसर’ लेकर आ रहे हैं। इसमें फीमेल बाउंसर्स की दुनिया जाहिर की गई है। पैसा तो वाकई बहुत है। अब प्यार मांगता है ये दिल। मेरे ख्याल से बाउंसर्स की दुनिया के तौर पर हमने बहुत ही नॉवेल सब्जेक्ट यानी अनोखा सब्जेक्ट पिक किया था। खासकर फीमेल बाउंसर्स की दुनिया। उनकी शारीरिक ताकत तो खैर वाकई ज्यादा होती ही है, मगर उनमें हाजिर जवाबी और जिंदा दिली सी होती है। वह दोनों चीज बहुत जरूरी होते हैं। ताकि काम के दौरान मुश्किल परिस्थितियों को वो अपनी हाजिर जवाबी और जिंदा दिली से हैंडल कर सकें। मेरे ख्याल से मधुर सर औरतों को औरतों के मुकाबले ज्यादा बेहतर समझते हैं। तभी जो इंप्रोवाइजेशन उन्होंने किए, वह तो मैंने सोचे भी नहीं थे।  हम उन किरदारों को इंबाइब तो नहीं कर सकते। हम अपने जीवन के किसी फेज में उन किरदारों की तरह के इमोशन से गुजर सकते हैं। वरना कल को मैं अगर सीरियल किलर प्ले करूंगी तो जरूरी नहीं कि किसी का मर्डर करने का तरीका इस्तेमाल करू। बेशक बाहुबली के किरदार से महसूस हुआ कि मैं अपनी सोच से कहीं ज्यादा ताकतवर हूं। बबली से जरूर अपने बारे में एक्सप्लोर कर सकी कि बचपन से मुझमें एक ‘दादा’ बसता रहा है, जो स्कूल में कभी एक समोसे के लिए भी साथियों से भिड़ जाता हो। साथ ही खुद में मासूमियत का भी एहसास हुआ। मेरा मानना है कि वह आपमें होता है आप उसे फेक नहीं कर सकते। ये दोनों ही किसी कलाकार को इसलिए कास्ट नहीं करते कि वो स्टार हैं। बल्कि इसलिए कि वो कलाकार लिखे गए रोल में फिट बैठते हैं। दोनों बड़े सेक्योर फिल्मकार हैं। तभी इतनी सारी फिल्में बनाने के बावजूद मधुर सर में खुद को फिर से तलाशने और तराशने की आदत कायम है। दोनों में रूटेड कहानियां कहने की फितरत है। तभी उनकी कहानियों में मास अपील है। मधुर सर की महिला प्रधान फिल्में तभी चल सकीं कि वो रूटेड कहानियां थीं। किसी की रीमेक नहीं थीं। राजामौली सर तो खैर विजनरी हैं। उन्होंने ‘बाहुबली’ से पहले ही वीएफएक्स का टूल यूज करना शुरू कर दिया था।

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