अफगानिस्तान: गहराता शरणार्थी संकट, रोजाना बढ़ रही प्रवासियों की संख्या

काबुल
मानवीय संकट से जूझ रहे अफगानिस्तान के सामने शरणार्थियों को लेकर एक नया संकट पैदा हो गया है। तालिबान शासित अफगानिस्तान में रोजाना अफगान शरणार्थियों को छोड़ा जा रहा है। अफगानिस्तान के शरणार्थी मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि मानवीय संकट से जूझ रहे अफगानिस्तान में पिछले सप्ताह ईरान द्वारा 7,000 से अधिक अफगान शरणार्थियों को छोड़ा गया है। इससे पहले, काबुल में ईरान के राजदूत बहादुर अमीनियन ने कहा था कि रोजाना करीब 3,000 अफगान नागरिक अवैध रूप से ईरान में प्रवेश कर रहे हैं।

ईरान में अवैध अफगानों की भरमार
ईरानी राजदूत अमीनियन ने कहा, 'जो लोग अवैध रूप से ईरान में प्रवेश कर रहे हैं। उनके साथ मानव तस्करी सहित अन्य सेवाओं की कमी होने की आशंका है।' खामा प्रेस ने संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) के अनुसार बताया कि अफगानिस्तान में तालिबान शासन से पहले करीब 34 लाख शरणार्थी ईरान में रहते थे, जिनमें से करीब 20 लाख के पास वैध कागजात उपलब्ध नहीं थे।

शरणार्थियों की संख्या में वृद्धि
बता दें कि पिछले 5 वर्षों से शरणार्थियों को लेकर अफगानिस्तान की स्थिति काफी बिगड़ गई है। अफगानिस्तान में विस्थापित लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। 2020 की तुलना में पिछले साल देश में विस्थापित लोगों की संख्या में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। दुनिया में अफगानिस्तान छठा सबसे बड़ा Internally Displaced Person (IDP) देश बना हुआ है और एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में 35 लाख आबादी के साथ सबसे बड़ी IDP देश है।

स्थाई समाधान का आग्रह
UNHCR की रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानों के लिए स्थाई समाधानों में स्वैच्छिक प्रत्यावर्तन, किसी तीसरे देश में शरण, स्थानीय एकीकरण और विस्थापन से पहले मूल स्थान पर वापसी शामिल है। इससे पहले Amnesty International ने सभी देशों से तुर्किये या ईरान में अफगान प्रवासियों को छोड़ने से रोकने का आग्रह किया था।

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