कहा-सदन चलाने की जिम्मेदारी गवर्नमेंट की, मॉनसून सत्र में सरकार को घेरने के लिए विपक्ष ने बनाया प्लान

नई दिल्ली 
विपक्षी दलों ने मॉनसून सत्र के दौरान सरकार को घेरने की योजना बना ली है। बुधवार से शुरू हो रहे सत्र के दौरान आम लोगों से जुड़े मुद्दे उठाने पर विपक्षी दलों में व्यापक सहमति बनी है। दलों ने साफ किया कि दोनों सदन की कार्यवाही सुचारू ढंग से चलाने की जिम्मेदारी सरकार की है। 

 राज्यसभा के उपसभापति के चुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी द्वारा देरी करने की खबरों पर विपक्ष ने देखो और आगे बढ़ो की नीति पर चलने का फैसला किया है। इस दौरान ये दल इस चुनाव के लिए अपने संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार भी चर्चा जारी रखेंगे। कई नेताओं ने ईवीएम में छेड़छाड़ का मुद्दा भी सदन में उठाने की जोरदार वकालत की। 

सोमवार को हुए विपक्षी दलों की बैठक में युवाओं में बेरोजगारी, कृषि संकट, MSP का मुद्दा, प्रमोशन में एससी/एसटी कोटा, मॉब लिंचिंग, अल्पसंख्यकों से संबंधित मुद्दे, दलित और आदिवासियों और तेल की कीमतों में तेजी समेत कई मुद्दों पर विचार विमर्श हुआ। 

विपक्षी दलों ने संसदीय कार्य मंत्री द्वारा मंगलवार को बुलाए गए सर्वदलीय बैठक के दौरान इन मुद्दों को उठाने का फैसला किया है। इस बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहेंगे। 

राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, 'विपक्षी दलों में इस बात पर व्यापक सहमति बनी कि हम संसद की कार्यवाही के दौरान आम लोगों से जुड़े मुद्दों पर बहस करना चाहते हैं। हम संसद की कार्यवाही सुचारू ढंग से चलने देना चाहते हैं लेकिन, बीजेपी अपने सहयोगी दलों के जरिए संसद की कार्यवाही में बाधा डलवाती है। हम मांग करते हैं कि सरकार सदन में बहस करवाए और आम लोगों के हितों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा हो।' 

विपक्षी दलों की बैठक में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, बीएसपी, एसपी, आरजेडी, डीएमके, सीपीएम, सीपीआई, केसीएम, आईयूएमएल और जेडीएस ने हिस्सा लिया। हालांकि बैठक में टीडीपी और वाईएसआर शामिल नहीं हुई थी। 

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